बस हादसों को रोकने के लिए कठोर नियम बनाए जाएं

आज रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में कोई भी दिन ऐसा नहीं होता जिस दिन कोई बस हादसा नहीं होता। इन हादसों में ज्यादा गलती  ड्राईवर की ही होती है। कभी अधिक मात्रा में अल्कोहल लेने से, मोबाइल से बात करने पर, वाहन तेज़ चलाने और कभी सवारियां अधिक बैठाने से बसें अनियंत्रित होकर बड़े हादसों का शिकार बन जाती हैं। आम जनता ड्राईवरों की लापरवाही का शिकार बन कर अकारण ही काल के मुंह में समा जाती है। मगर होता क्या है कि इन हादसों में मरने वाले लोगों को सरकार कुछ हज़ार रुपये राहत के तौर पर देकर अपना पीछा छुड़ा लेती है। ऐसे हादसों को रोकने का यही उपाय है कि सख्त कानून बने और उनको सख्ती से लागू किया जाये। बस चलाने से पहले ड्राईवर का निरीक्षण होना चाहिए कि उसने अल्कोहल का सेवन तो नहीं किया हुआ। उसके पास पानी की बोतल या मोबाइल तो नहीं है। अगर है तो इन चीज़ों को उससे ले लिया जाना चाहिए। नहीं तो इन चीज़ों को कंडक्टर के रजिस्टर में लिखा जाना चाहिए। अगर ड्राईवर हादसे के बाद कसूरवार निकलता है तो उसकी सेवाएं तुरंत समाप्त कर देनी चाहिए। इसमें एक बात का तो शुरू-शुरू में ही ध्यान रखना चाहिए कि जब किसी बस ड्राईवर को भर्ती करना है तो उसकी भर्ती पर सख्त कानून बनना चाहिए। मैडिकल टीम गठित होनी चाहिए। उसका मैडिकल अच्छी तरह होना चाहिए। जब कभी भी सिफारिश या पैसा चलने लगता है तो कानून को नर्म किया जाता है, ऐसा नहीं होना चाहिए।
देखने में तो यही आया है कि बस दुर्घटनाओं का कारण अधिकतर चालक की ही लापरवाही होती है। वास्तव में देश में चालकों की लाइसेंस प्रक्रिया इतनी बुरी है कि आसानी से कोई भी अनजान ड्राईवर भी लाईसैंस प्राप्त कर लेता है। एक तरह से लोगाें की अमूल्य ज़िन्दगियों से खिलवाड़ का लाईसेंस ले लेता है। इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। भविष्य में इस प्रकार के हादसे न होें इसके लिए ज़रूरी है कि चालकों के लिए कठोर नियम बनाए जाएं और उनका पालन भी कठोरता से किया जाना चाहिए। समय-समय पर चालकों के रिफ्रेशर कोर्स करवाने चाहिए, और अगर कोई चालक नशे की हालत में गाड़ी चलाता पकड़ा जाये तो तुरंत उसका लाईसेंस रद्द कर देना चाहिए और उसकी सेवाएं तुरंत समाप्त कर देनी चाहिए। यही उसकी सज़ा होनी चाहिए। चलती बस में पानी पीना, मोबाइल पर बात करना, खिड़की से बाहर देखना, सी.डी बदलना, गाना सुनना, नशे में गाड़ी चलाना और एक-दूसरे की होड़ में आगे निकलना इत्यादि दुर्घटनाओं को न्यौता देते हैं। पहाड़ों में मैदानी इलाकों की तरह गाड़ी चलाना खतरों को दावत देना है। अक्सर देखा गया है कि ड्राईवर की सीट पर बैठे ज्यादातर चालक अपनी मनमानी करते हैं। यदि कोई सवारी उन्हें गलत हरकत करने से रोकती है तो गुस्से में लाल-पीले हो जाते हैं। सरकार को इस पर सख्त से सख्त कानून बनाने चाहिए। समय-समय पर ड्राईवरों की कुशलता को परखना चाहिए। जगह-जगह पर नाके लगाये जायें ताकि बसों पर बैठी सवारियां भी ड्राईवर की गलत हरकतों को अनदेखा न कर सकें। नाके पर बैठे अधिकारियों को अवगत कराना चाहिए। गलती करने वाले ड्राईवरों को जुर्माना और सज़ा का प्रावधान होना चाहिए। कुशल ड्राईवर को समय-समय पर सम्मानित करें ताकि दूसरे ड्राईवर उनसे प्रेरणा लें।