कच्चा तेल फिर बढ़ा : डॉलर हुआ तेज़

नई दिल्ली, 18 अगस्त (एजेंसी) ‘टे्रड वार’ अर्थात् ‘व्यापार युद्ध’ चीन व अमेरिका के बीच लगातार बने रहने से दोनों देशों ने गुड्स आयात टेरिफ पर शुल्क में बढ़ोत्तरी जारी रखने से अब मुद्राओं पर असर दिखने लगा है। दोनों देशों का आयात-निर्यात घट जाने से घरेलू मुद्रा बाजारों में दोनों देशों की मुद्राओं में उथल-पुथल चलने से इससे पूर्व सप्ताह के दौरान चीन की मुद्रा अवमूल्यन स्थिति में आ जाने से अमेरिकन डॉलर की तुलना में यूआन 7.03 प्रति डॉलर पर देखा गया है। दो साल पूर्व यूआन 6.60/6.70 प्रति डॉलर के बीच घूम रही थी। दूसरी ओर कच्चा तेल अंतिम सत्र के दौरान फिर बढ़कर 55 डॉलर प्रति बैरल के निकट पहुंच गया। अमेरिकन डॉलर, भारतीय मुद्रा के सामने गत सप्ताह 70.68 से बढ़कर अंत में 71.14 रुपए पर सुना गया। पौंड मुद्रा भी रुपए के सामने 85.44 से बढ़कर 86.42 रुपए हो गयी। इससे पूर्व सप्ताह चीन की युआन मुद्रा अमेरिकन डॉलर की तुलना में काफी नीचे आ गयी थी। यूआन का अवमूल्यन चीन व अमेरिका के बीच चल रहे टे्रड वार के कारण देखने को मिला है। हालांकि डॉलर की तेजी गुड्स की कीमत बढ़ायेगी तथा डॉलर की कीमत बढ़ने से अर्थव्यवस्था गति में धीमापन होने से अमेरिकन व्यापार आने वाले समय में कमजोर हो सकता है। इन सबके चलते अमेरिका फैड बैंक अपनी ब्याज दरों में इस साल कमी की ओर रुख करेगा, क्योंकि क्रय-बिक्री शक्ति काफी कमजोर होने के संकेतों से वैश्विक मंदी का इशारा होता है, लेकिन इस ‘व्यापार युद्ध’ का एक लाभ यह होगा कि विभिन्न देशों के साथ व्यापार संधि कर अपनी-अपनी मुद्राओं में कारोबार बढ़ाया जा सकता है। इसका लाभ यह होगा कि डॉलर पर निर्भरता कम रहने से विभिन्न गुड्स की कीमत नियंत्रण में रह सकती हैं। इससे चौतरफा व्यापार में सामंजसता बनी रह सकती है और जो आयातक देश हैं, वह डॉलर की कीमत अन्य मुद्राओं की तुलनात्मक बढ़ने से उन्हें कई परिस्थितियों में उस देश की सरकार को चालू खाता घाटा यानि राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ता है और निर्यातक देशों को डॉलर का लाभ मिलता है।