प्राचीन इतिहास का अनुपम मन्दिर नाहर सिंह देवता

मनाली से 23 किलोमीटर दूर ब्यास नदी के छोर पर स्थित है हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध स्थान ‘नग्गर’ जहां की हवेली, मंदिर, बाग, वातावरण, रौरिक प्रदर्शनी, खाने-पीने का डिब्बा बंद सामान प्रसिद्ध है। मंदिर नाहर सिंह देवता नग्गर के चौक में पड़ता है। इस मंदिर को नाहर सिंह देवता भी कहते हैं। कुल्लू का प्राचीन राजवंश नाहर सिंह देवता में असीम श्रद्धा रखता है। मूल रूप में नाहर सिंह देवता की क्रीड़ा स्थली कुल्लू ज़िला था। यहां से इस देवता ने हिमाचल प्रदेश के चम्बा, मंडी, बिलासपुर ज़िलों में प्रस्थान कर लोगों की मनोकामना को पूरा किया। बिलासपुर के राजा देवीचन्द की कुल्लुवी रानी नागरी देवी नाहर सिंह को बिलासपुर लेकर गई थी। कुल्लू ज़िला मेें नाहर सिंह देवता के चार-पांच मंदिर हैं। नाहर सिंह देवता को नर सिंह या नृसिंह देवता भी कहा जाता है। यह समय पर ही खुलता और बंद होता है। मंदिर की कृति लक्कड़ की अनुपम शैली में है। नग्गर चौक से मंदिर को दाएं-बाएं सीढ़ियों का रास्ता जाता है। यह रास्ता पत्थर की सीढ़ियों पर लक्कड़ कला से निर्माणयुक्त है। मंदिर की दीवार पर तरह-तरह की सुन्दर नक्काशी की गई है। दीवारों पर कई टुकड़े (विभाजन) बने हुए हैं जिनमें मूर्तियां, धार्मिक चिन्ह  अंकित हैं। इसकी वर्गाकार छत की बाहरी और झालदार पट्टी बनी हुई है। इसकी छत के ऊपर तिरछीदार प्राचीन शैली की छत का निर्माण है। यह लक्कड़ का मंदिर एक प्राकृतिक अनुपम दिव्य आकृति लगता है। मंदिर के भीतर भगवान की कई मूर्तियां हैं। यह मंदिर घनी आबादी के पास है। इस स्थान से ब्यास नदी के नज़ारे तथा दूर-दूर की सुन्दर पहाड़ियों के नज़ारे देखने को मिलते हैं। नग्गर के सुन्दर घरों, कोठियों के नज़ारे देखने योग्य हैं। इस मंदिर के आसपास होटलों में रहा जा सकता है। यह मंदिर नग्गर एवं कुल्लू की प्राचीनता की अद्भुत ऐतिहासिक धरोहर है।

- बलविन्दर बालम गुरदासपुर