बेहद रमणीक स्थान है भीमताल

अगर आपको कुदरत से प्यार है, यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं और प्राकृतिक नज़ारों का जी भर कर लुत्फ उठाना चाहते हो तो आईये आपको देव भूमि उत्तराखंड ले चलूं जहां पग-पग पर प्रकृति ने अपनी मनमोहक छटा बिखेरी है। जहां चारों ओर कुदरती नज़ारे आपको अपनी ओर बुलाते हैं। यूं तो राज्य में कई पर्यटन स्थल हैं जहां घूमकर सैलानी अपनी सारी परेशानियों को भूल कर बस आनंदित हो जाता है। राज्य के नैनीताल ज़िले में झीलों की एक वृहद शृंखला है जिनमें भीमताल, सातताल और नौकचियाताल आदि हैं। नैनीताल से महज 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भीमताल नैनीताल की तरह बेहद रमणीक स्थान है। समुद्रतल से लगभग 1200 मीटर की ऊंचाई पर 1860 मीटर लम्बी तथा 500 मीटर चौड़ी तथा 30 मीटर गहरी त्रिकोणीय भीम ताल झील अपनी खूबसूरती से फिल्म इंडस्ट्री का भी दिल जीतने में सफल रही है। कई छोटी-बड़ी फिल्मों की शूटिंग यहां हुई है। किवदंती है कि अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव, इस स्थान पर भी कुछ समय के लिए ठहरे थे और इसी दौरान भीम ने खोदकर इस झील का निर्माण करवाया था। क्योंकि भीम ने इस झील का निर्माण किया था इसलिए इसका नाम भीमताल पड़ गया। दूसरा इसका आकार बहुत बड़ा है, इसलिए भी इसे भीमताल कहते हैं। भीम का अर्थ विशाल भी होता है। इस झील के आस-पास स्थानीय लोग पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए काफी प्रयत्न करते हैं। भीमताल में काफी अच्छे बाज़ार भी हैं और पर्यटकों के रहने के लिए कुमाऊं विकास निगम की ओर से यहां ठहरने व सुख-सुविधाओं का ख्याल रखा गया है। यहां के आवास गृह, होटल, रेस्तरां, यात्रियों की आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं। यहां एक टैलीविज़न का कारखाना भी है। इस झील में सबसे खूबसूरत व पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला छोटा-सा द्वीप है जो ताल के बीच में है, अत्यंत सुंदर इस द्वीप तक नावों के द्वारा पहुंचा जा सकता है। यहां पर्यटक बड़ी संख्या में आकर चारों ओर से पानी से घिरे होने का भरपूर लुत्फ उठाता है। यहां पर खाने-पीने की व्यवस्था व होटल भी हैं। वास्तव में यह द्वीप इस झील की सुंदरता में इजाफा करता है।
कैसे पहुंचें
यहां पहुंचना बहुत आसान है। आप यहां ठाने के काठगोदाम या हल्द्वानी रेलवे स्टेशन तक आकर यहां से टैक्सी, बस जैसी आवागमन की सुविधाओं का प्रयोग कर सकते हैं। काठगोदाम जोकि कुमाऊं का अंतिम रेलवे स्टेशन है, अत्यंत ही खूबसूरत व साफ-सुथरा स्टेशन है। स्टेशन पर उतरते ही आपको पहाड़ों की नैसर्गिक सुंदरता का आभास होने लगेगा। हरे-भरे पर्वत, पहाड़ अपनी अनुपम छटा बिखेरते हैं यहां। प्रकृति के इन नज़ारों का तुल्फ लेते हुए यहां से बस या टैक्सी लेकर 10 किलोमीटर दूर भीमताल पहुंच जाएंगे। रास्ते में पहाड़ी, स्थानीय व्यंजनों व स्नैक्स आपको गर्मागरम खाने को मिलेगा और यहां का शीतल पानी भी जो ज़मीनी स्रोतों से निकलता है जो आपकी प्यास को बुझाएगा पर पीने की और इच्छा होगी। इन घुमावदार व सर्पीली सड़कों से जब आप भीमताल पहुंचते हैं तो नि:संदेह आपकी थकान दूर होगी। उसके पास में भीमेश्वर का मंदिर भी है। इसके अतिरिक्त आप भवाली व कैंची मंदिर भी घूम सकते हैं। प्रसिद्ध कैंची धाम मंदिर सड़क के किनारे होने के कारण आपको भटकना भी नहीं होगा। पर्यटक अगर भीमताल तक आए और नैनीताल न जाए ये तो असम्भव है। इसलिए लगभग 23 किलोमीटर दूर नैनीताल भी आपका हार्दिक स्वागत करने को हरदम ही बेकरार है। किसी भी परिचय की मोहताज नहीं है नैनीताल की खूबसूरती। यहां मोटिया मार्किट, चाइना पीक भी देखने लायक हैं।  भीमताल से घूमकर अगर समय बचे तो अल्मोड़ा और रानीखेत भी घूमा जा सकता है। ये दोनों जगहें बेहद खूबसूरत हैं।
किस मौसम में जाएं 
 यूं तो भीमताल का मौसम बहुत सुहावना रहता है और यहां वर्ष के 12 महीनों में कभी आया जा सकता है। गर्मियों में यहां आकर घूमना आपको एक अलग ही एहसास दिलाएगा। मगर यहां झील में नाव से भ्रमण कर खूबसूरत नज़ारों का मज़ा लें। इसके किनारे वृक्षों की कतारे हैं। सर्दी के मौसम में भी गर्म कपड़े पहन कर गर्म चाय-पकौड़े खाने का सुखद एहसास यहां मिलता है।