चम्पा और चमेली

तभी एक कार और मोटरसाइकिल में भिड़न्त हो जाती है। मोटरसाइकिल सवार युवक एवं युवती घायल हो जाते हैं। निलेश का दिल पसीज उठता है और वह ड्राइवर को कार रोकने को कहता है। डा. निलेश जेब से फोन निकाल कर किसी को फोन करता है। तभी एम्बूलैंस साइरन बजाती हुई घटना स्थल पर पहुंच जाती है। कुछ मिनटों बाद एम्बुलैंस एक निजी अस्पताल में प्रवेश करती है। डा. निलेश कहता है कि वह घायलों का स्वयं आप्रेशन करेगा। डेढ़ घंटे की लम्बी प्रतीक्षा के बाद आप्रेशन थियेटर का दरवाज़ा खुलता है। उस दिन न चम्पा आफिस जा सकी और न ही चमेली। दोनों ने अपने आफिस में टैलीफोन करके छुट्टी तो ले ली थी कि पता नहीं कितनी देर अस्पताल में लग जाये। चम्पा घर पहुंची तो रात के 9 बज चुके थे।  उसने सीढ़ियां चढ़ कर घर की काल बैल बजाई। वृद्ध मां-बाप दोनों ने एक ही स्वर में प्रश्न उसकी ओर उछाला कि बेटी इतनी देर आफिस से आने में कैसे हो गई? तभी टैलीफोन की घंटी घनघना उठती है। चम्पा फिर से निकल कर ड्राइंग रूम में आती है और फोन पर बात करती है। मां बाप ने पूछा बेटी इतनी रात किस का फोन है? चम्पा ने जवाब दिया कि अमरीका से भाई आदेश का फोन है। दोनों ने एक ही स्वर में पूछा कि क्या कह रहा था? चम्पा ने जवाब दिया भाई ने शादी कर ली है। चम्पा कहती है कि भाई ने अंग्रेज़ी मेन फिस्टीना से शादी की है।  उसके कार्यालय में ही सहकर्मी है। मां-बाप माला पकड़ कर बैठ गये। वृद्ध मां-बाप के एक दिन विदेश गये बेटे की एक झलक पाने के लिए प्रतीक्षा करते करते प्राण पंखेस उड़़ जाते हैं, परन्तु वह उनका अंतिम संस्कार तक भी करने के लिए विदेश से भारत नहीं आता। चम्पा अकेली व असहाय रह जाती है। तब डा. निलेश उसे सहारा देता है। डा. निलेश उसके सम्मुख विवाह का प्रस्ताव रखता है। चम्पा हां कर देती है। दोनों जीवन साथी बन कर एक-दूसरे के दुख-सुख के भागीदार बन जाते हैं।