कुपोषण से बच्ची की मौत, पिता व दादी को 6 महीने की कैद

 नई दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा): राजधानी की एक अदालत ने कुपोषण की वजह से मृत्यु की शिकार हुई एक बच्ची के पिता और दादी को छह महीने कैद की सजा सुनाते हुए कहा कि केवल ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ नारे से बच्चियों की जान नहीं बच सकती है। अदालत ने दोनों को बच्ची की उचित देखभाल न करने के जुर्म में सजा सुनाई। इसने कहा कि दो साल की बच्ची की देखभाल की सारी जिम्मेदारी दोनों दोषियों की थी। वैवाहिक विवाद के बाद बच्ची का संरक्षण उसके पिता और दादी के पास था। 19 फरवरी 2014 को बच्ची अचानक बेहोश हो गई और उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला कि बच्ची बुरी तरह कुपोषित थी और दो महीने में उसका वजन सामान्य से घटकर काफी कम हो गया।  बच्ची की जब मौत हुई तो उस समय उसका वजन महज पांच किलोग्राम था।  अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गुरदीप सिंह सैनी ने कहा कि यह उल्लेख करना आवश्यक है कि बच्चियों की उचित देखरेख में अनदेखी लगातार जारी है। न सिर्फ माता-पिता, बल्कि समूचा समाज उन्हें बचाने में विफल रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में तब बेशर्मी की हद पार हो गई जब एक पड़ोसी यह गवाही देने के लिए आ गया कि दोषियों ने बच्ची को खूब प्यार दिया और उचित देखरेख की। अदालत ने कहा कि सिर्फ ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ नारे से बच्चियों की जान नहीं बचाई जा सकती। अदालत ने बच्ची के पिता और दादी दोनों को बाल न्याय कानून की धारा 23 (बच्चे पर क्रूरता) के तहत दोषी ठहराया।