हैरान करने वाले हैं पंजाब में नशों बारे खुलासे

जालन्धर, 25 अगस्त (जसपाल सिंह): पंजाब में नशाें संबंधी भारतीय समाज विज्ञान व खोज परिषद् (आई.सी.एस.एस.आर.) द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण के खुलासाें ने पंजाब में गम्भीर हो चुकी नशों की समस्या संबंधी और भी हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। ग्रामीण व औद्योगिक विकास बारे खोज केन्द्र (करिड) से डा. रणजीत सिंह घुम्मण, डा. गुरिंदर कौर व डा. जतिंदर सिंह की अगुवाई वाली टीम द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि प्रदेश के 65 फीसदी के करीब नौजवान 15 से 20 वर्ष की उम्र में ही नशे के आदी हो जाते हैं और नशे की पूर्ति के लिए उनके द्वारा रोज़ाना औस्तन 200 रुपए से लेकर 2 हज़ार रुपए तक उड़ा दिए जाते हैं। इसी तरह 27 फीसदी नौजवान आठवीं कक्षा तक पढ़े हुए जबकि 50 फीसदी के करीब नशेड़ी 10वीं से 12वीं तक पढ़े हुए हैं। इन नशेड़ियों में से 54 फीसदी नशेड़ी देहाती क्षेत्रों जबकि 46 फीसदी नौजवान शहरी क्षेत्रों से संबंधित हैं। सबसे हैरानीजनक व दुखद पहलू यह है कि 10 फीसदी बच्चे 14 वर्ष की उम्र से पहले ही नशा करना शुरू कर देते हैं जबकि 72 फीसदी नशेड़ी 15 से 35 वर्ष की उम्र के हैं। सर्वेक्षण के अनुसार 85 फीसदी के करीब नौजवान दोस्तों की संगत में पड़कर व 60 फीसदी के करीब नौजवान बेकारी व आसानी से नशा मिलने के कारण नशे की दलदल में फंस गए। नशे करने वाले 80 फीसदी नौजवान कुंवारे हैं। प्रदेश में नशे के व्यवहार के लिए अधिकतर लोगों ने राजनीतिक नेताओं, पुलिस व नशा तस्करों के गठजोड़ को ज़िम्मेवार ठहराया है। उल्लेखनीय है कि यह सर्वेक्षण पंजाब के आठ ज़िलों जालन्धर, अमृतसर, तरनतारन, लुधियाना, मोगा, संगरूर, बठिंडा व मानसा में करवाया गया जबकि पंजाब से बाहर हरियाणा के अम्बाला व सिरसा, राजस्थान  के गंगानगर व हनुमानगढ़, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, कांगड़ा व जम्मू कश्मीर के कठुआ क्षेत्र में भी करवाया गया। सर्वेखण में शामिल किए गए इन 16 ज़िलों के 2706 नौजवानों से जानकारी हासिल की गई जिनमें से 1140 नशेड़ी पाए गए और उनमें 58 फीसदी पंजाब से संबंधित थे, जबकि बाकी 42 फीसदी अन्य राज्यों से थे, जिससे स्पष्ट होता है कि नशाें की बीमारी ने पंजाब से बाहर भी अपने पांव पसारे हुए हैं।