ऐमाज़ोन के बचाना ज़रूरी

व्यक्तिगत, ब्राज़ील के ऐमाज़ोन वर्षा वनों के व्यापक पर्यावरणीय महत्व को देखते हुए इन्हें बचाना सदा ज़रूरी रहा है, पर जलवायु बदलाव के इस दौर में तो यह पूरे विश्व के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। इन घने जंगलों में बहुत कार्बन समाता है व इनके कटने से इतने बड़े पैमाने पर ग्रीनहाऊस गैसों का उत्सर्जन होगा कि विश्व स्तर के जलवायु सम्बंधी लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा। अत: जब ब्राज़ील के ऐमाज़ोन वर्षावन में क्षति की बात होती है तो पूरे विश्व के पर्यावरणविद चौकन्ने हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त ऐमाज़ोन वर्षा वनों की रक्षा से ब्राज़ील के आदिवासियों का जीवन भी बहुत नज़दीकी तौर पर जुड़ा है। 274 भाषाएं बोलने वाले लगभग 300 आदिवासी समूहों की आजीविका और दैनिक जीवन भी इन वनों से नज़दीकी तौर पर जुड़े हुए हैं। इस महत्व को देखते हुए ब्राज़ील के 1988 के संविधान में आदिवासी समुदायों के संरक्षित क्षेत्रों की पहचान व संरक्षण की व्यवस्था की गई थी। फुनाय नाम से विशेष सरकारी विभाग आदिवासी हकदारी की रक्षा के लिए बनाया गया। अमेज़न के आदिवासियों को इतिहास में बहुत अत्याचार सहने पड़े हैं, अत: बचे-खुचे लगभग नौ लाख आदिवासियों की रक्षा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जर्मनी और नार्वे की सहायता से इन वनों की रक्षा के लिए संरक्षण कोश भी स्थापित किया गया है। जहां ब्राज़ील में कुछ महत्वपूर्ण कदम सही दिशा में उठाए गए थे, वहीं दूसरी ओर इससे भी बड़ा सच यह है कि अनेक शक्तिशाली तत्व इन वनों को उजाड़ने के पीछे पड़े हैं। इसमें मांस (विशेषकर बीफ) बेचने वाली बड़ी कंपनियां हैं जो जंगल काटकर पशु फार्म बना रही हैं। कुछ अन्य कंपनियां खनन व अन्य स्रोतों से कमाई करना चाहती हैं। पर इनका सामान्य लक्ष्य यह है कि जंगल काटे जाएं व आदिवासियों को उनकी वन-आधारित जीवन पद्धति से हटाया जाए। इन व्यावसायिक हितों को इस वर्ष राष्ट्रपति पद पर जैर बोल्सोनारो के निर्वाचन से बहुत बल मिला है क्योंकि बोल्सोनारो उनके पक्ष में व आदिवासियों के विरुद्ध बयान देते रहे हैं। बोल्सोनारो के राष्ट्रपति बनने के बाद आदिवासी हितों की संवैधानिक व्यवस्था को बहुत कमज़ोर किया गया है तथा वनों पर अतिक्रमण करने वाले व्यापारिक हितों को बढ़ावा दिया गया है। उपग्रह चित्रों से प्राप्त आरंभिक जानकारी के अनुसार जहां वर्ष 2016 में 3183 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र पर वन उजड़े थे, वहीं इस वर्ष सात महीने से भी कम समय में 3700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर वन उजड़ गए हैं। वन विनाश की गति और भी तीव्र हो रही है। 2017 में जुलाई महीने में 457 वर्ग किलोमीटर वन उजड़े थे, जबकि इस वर्ष जुलाई के पहले तीन हफ्तों में ही 1260 वर्ग किलोमीटर वन उजड़े।
इसके साथ आदिवासी हितों पर हमले भी बढ़ गए हैं। हाल ही में वाइअपी समुदाय के मुखिया की हत्या कर दी गई। इस समुदाय के क्षेत्र में बहुत खनिज संपदा है। इस हत्या की संयुक्त मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कड़ी निंदा की है। इस स्थिति में ब्राज़ील के अमेज़न वर्षावनों तथा यहां के आदिवासियों की आजीविका व संस्कृति की रक्षा की मांग को विश्व स्तर पर व्यापक समर्थन मिलना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)