पंजाब की ‘शाही सरकार’ की नज़र अब सरकारी स्कूलों के कल्याण फंड पर

जगराओं, 4 सितम्बर (अ.स.) : पंजाब के खज़ाने का बोझ घटाने के लिए राज्य की ‘शाही सरकार’ ने शाही खर्चों को घटाने की बजाय इस खज़ाने को भरने के लिए अपनी नज़र अब स्कूलाें के एकत्रित हुए कल्याण फंडों पर रख ली है। खबर है कि राज्य के वित्त विभाग ने स्कूलों के डीडीओज़ को यह आदेश भी दे दिए हैं कि बच्चों व समाजसेवी संस्थाओं से एकत्रित होते आ रहे अमलगामेटिड (एकीकृत) फंड का ब्याज तुरंत राज्य के वित्त कार्यालय में जमा करवाया जाए। यहां तक कि इस मुद्दे पर वित्त विभाग ने स्कूलों के डीडीओज़ को एक चेतावनी भी दी है कि स्कूलों के फंडों का ब्याज तुरंत जमा न करवाने पर अध्यापकों की अगस्त महीने की तनख्वाह के बिल नहीं लिए जाएंगे। यह भी खबर है कि इस संबंधी विभिन्न स्कूलों के डीडीओज़ ने इन फंडों का ब्याज़ वित्त विभाग के पास जमा करवा दिया है परंतु अभी कई स्कूलों द्वारा यह ब्याज़ जमा न करवाने के कारण यह मुद्दा शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों तक भी पहुंच गया है, जिस बारे आज शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने राज्य के वित्त सचिव के साथ बातचीत भी की है। उन्होंने इस बारे वित्त विभाग को लिखे पत्र में इसका उल्लेख करते हुए यह कहा कि बच्चों व स्कूलों के कल्याण पर खर्च किए जाने वाले यह फंडों का ब्याज जोकि कभी भी वित्त विभाग द्वारा  नहीं लिया गया और यदि इन फंडों का ब्याज भी जमा करवाया जाता है तो स्कूलों को वित्तीय तौर पर भारी दिक्कत आएगी। उन्होंने यह भी लिखा कि यह मामला शिक्षा विभाग द्वारा अलग तौर पर वित्त विभाग से विचार किया जा रहा है। उन्होंने इसके साथ ही पत्र के ज़रिये अभी स्कूलों को भी यह ब्याज जमा न करवाने के लिए कहा। एक और भी बात बताने योग्य है कि स्कूलों से यह ब्याज जिस हैड में जमा करवाया जाना है, वह पंजाब सरकार का मिसलेनअस रीसिप्ट (फुटकल उपलब्धियां)में जमा करवाया जाने वाला फंड है,  जहां स्कूलों से प्राप्त बच्चों व स्कूलों की भलाई वाला यह फंड कहां खर्च किया जाएगा, इसके आंकड़े भी नहीं मिल सकेंगे। चाहे यह मुद्दा शिक्षा विभाग व वित्त विभाग के सचिव के बीच विचारने की बात हो रही है परंतु इस मुद्दे ने राज्य के शिक्षा विभाग से जुड़े जागरूक लोगों में एक चर्चा छेड़ दी है। कैप्टन सरकार का वित्त विभाग इस बारे आगामी दिनों में क्या फैसला लेगा वो तो समय ही बताएगा।