चीकू को सबक

एक बहुत हरा-भरा तथा फलों वाले पेड़ों का घना जंगल था। जंगल के बीच से होकर एक छोटी-सी नदी बहती थी। उस नदी में जंगल के तमाम जानवर पानी पीने आते थे। एक दिन नदी से पानी पीकर दिल्लू हाथी वापस लौट रहा था, वह एक आम के पेड़ के नीचे से गुजर रहा था, तभी उसके सिर पर एक पका आम गिरा। दिल्लू ने यह देखने के लिए ऊपर की तरफ नजर घुमायी कि आम कहां से आया होगा तभी दूसरा आम उसकी सूंड में आकर लगा। उसने सूंड को पेड़ की एक टहनी से अभी सहलाया ही था कि फिर एक आम कान में आकर लगा। दिल्लू परेशान हो गया। वह जैसे ही यह देखने के लिए सिर ऊपर करता कि आम किधर से आ रहे हैं, तभी उसके सिर, माथे, कान, आंख, पीठ कहीं न कहीं आम आके लग जाता।  दिल्लू ने सोचा ऐसी क्या बात है कि लगातार उसके ऊपर आम गिर रहे हैं और दूसरी तरफ कहीं नहीं गिर रहे। उसने सोचा कहीं कोई शरारत तो नहीं कर रहा। यह जानने के लिए उसने जैसे ही गर्दन घुमाकर ऊपर की तरफ देखा तो एक बंदर दिखा। अरे, यह तो चीकू है। दिल्लू हाथी ने चीकू की तरफ देखते हुए कहा और अगले की पल अपने स्वर में थोड़ी नाराजगी लाते हुए दोबारा से कहा, ‘तो तुम हो जो लगातार मुझे आम फेंककर मार रहे हो।’ चीकू ने इस सवाल का जवाब देने की बजाय एक और आम तोड़ा और दिल्लू की तरफ फेंक दिया। वह भी आकर उसके सीधे माथे पर लगा। इससे दिल्लू का गुस्सा आ गया। चीकू से बोला, ‘तुम मानोगे नहीं। ज्यादा परेशान किया तो अभी नीचे उतारकर तुम्हें नदी में फेंक दूंगा। हाथी की यह धमकी सुनकर चीकू खिलखिलाकर हंस पड़ा और कहा दिल्लू तुम में इतनी दम नहीं है कि तुम मुझ तक पहुंच जाओ।’ यह सुनकर दिल्लू को बड़ा गुस्सा आया। लेकिन चीकू की शरारतों में कोई कमी न आयी। वह बार-बार आम तोड़कर दिल्लू पर चिढ़ाने के लिए फेंकता रहा। दिल्लू को गुस्सा आ गया उसने अपनी सूड को ऊपर उठाकर पेड की उस डाल का सिरा पकड़ लिया, जिसमें सबसे ऊपर की तरफ  चीकू बैठा था। दिल्लू ने डाल को नीचे झुकाया और एक झटके में खींचा जिससे आम की पेड़ की वो डाल टूटकर उसके सूंड में आ गई।  चीकू यह देखकर बहुत घबरा गया और दिल्लू से बोला, ‘मुझे माफ कर दो। मुझसे गलती हो गई।’ लेकिन दिल्लू को अब तक बहुत गुस्सा चढ़ चुका था। उसने कहा तुम्हें बिल्कुल नहीं माफ  करूंगा और डाल को बीच नदी में फेंकूगा। तब तुम्हें पता चलेगा कि किसी को सताने का क्या नतीजा होता है। चीकू दिल्लू की यह दो टूक बात सुनकर और डर गया और चिरौरी करने लगा कि उसे छोड़ दिया जाए। मगर दिल्लू ने उसे नहीं छोड़ा और सूंड में लपेटी हुई डाल को लिए नदी किनारे आ खड़ा हुआ। चीकू की चीख निकल गई क्योंकि नदी में पानी बहुत तेज था और जिस अंदाज में दिल्लू डाल को लेकर नदी की तरफ ले जा रहा था, उससे साफ  लग रहा था कि वह उसे नदी के बीचों बीच फेंक देगा। चीकू जान रहा था कि अगर दिल्लू ने ऐसा किया तो उसकी एक भी हड्डी पसली नहीं बचेगी। इसलिए वह जोर-जोर से चीखने लगा और दिल्लू से कहा कि उसे माफ  कर दे। अब वो कभी ऐसी शरारत नहीं करेगा और उसे पके आम तोड़ककर खिलायेगा।  दिल्लू ने कहा, ‘सच बोलता है न।’ इस पर चीकू ने कहा सच बोलता हूं और कभी ऐसी शरारत नहीं करूंगा। तो ठीक कहकर दिल्लू ने सूंड में लपेटी हुई आम की डाली को जमीन पर रख दिया, जिससे चीकू कूदकर उससे बाहर आ गया और कान पकड़कर दिल्लू से माफी मांगी कि अब वह कभी ऐसी शरारत नहीं करेगा। दिल्लू ने कहा अगर तू ऐसा कहता है तो मैं तुझ पर भरोसा कर लेता हूं। लेकिन अगर दोबारा कभी ऐसी शरारत किया तो तुझे सूंड में लपेटकर बीचोंबीच नदी में फेंक दूंगा जिससे तेरी जान निकल जायेगी। चीकू ने कहा, ‘वह ऐसा मौका कभी नहीं देगा। वाकई ऐसा ही हुआ। इस दिन के बाद चीकू और दिल्लू में दोस्ती हो गई। अब दिल्लू को रोज चीकू पेड़ से तोड़कर आम, जामुन और अमरूद के मीठे-मीठे फल खिलता है और दिल्लू उसे अपनी पीठ पर बैठाकर नदी के उस पार ले जाता है जहां कुछ ही दूरी पर गन्ने के खेत हैं। दोनो खेत से मीठे-मीठे गन्ने तोड़कर चूसते हैं और खूब एंज्वॉय करते हैं। अब इन दोनो की दोस्ती पूरे जंगल में मशहूर है। 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर