तारों की दूरी का कैसे पता लगता है ?

पृथ्वी के किसी निकटस्थ तारे के बीच की दूरी 60 अरब मील है। तारों के हमसे इतनी दूरी पर होने के कारण हम कैसे कल्पना कर सकते हैं कि वह कितने बड़े हैं और किस चीज़ के बने हुए हैं। एक समय था जब नक्षत्रशास्त्रियों को इसकी जानकारी दूरबीन से मिला करती थी। किन्तु आज के युग में नक्षत्रशास्त्रियों के पास अनेक प्रकार के विशेष उपकरण हैं, जिनकी सहायता से वे तारों की आकृति, उनकी चमक, उनके रंग, तापमान तथा उनकी बनावट के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। दूसरा उपकरण स्पैट्रोग्राफ है, इस यंत्र की सहायता से तारों से जो प्रकाश निकलता है उसके बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। इसके अलावा तारों की बनावट, उनका तापमान तथा उनकी चाल की गति के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। तारों का रंग क्रमानुसार नीले से लाल होता है। सूर्य का मध्य भाग पीला होता है। तारों के तापमान का अनुमान उनके वर्ण-क्रम के रंगों से लगाया जा सकता है। नीले तारे बहुत गर्म होते हैं यानि इनका तापमान 60 हज़ार डिग्री से भी अधिक होता है। लाल तारे अपेक्षाकृत ठण्डे होते हैं और उनकी सतह का तापमान तीन हज़ार डिग्री अथवा इससे भी कम होता है।