कैसे हुआ कागज़ का आविष्कार ?

चीन में कागज की खोज सन 105 में चीनी सम्राट हो-ती के दरबार के एक हिजड़े ने की थी, जिसका नाम था साई लुन। लुन ने सनई के टुकड़ों, चीथड़ों और पेड़ों की छाल की लुगदी तैयार की और उसे बहुत पतला-पतला फैला दिया। सूखने पर यह देखा गया कि इस पर स्याही या रंग से अच्छी तरह लिखा जा सकता है। यही दुनिया का पहला कागज था। ऐसा नहीं है कि कागज की खोज से पहले लिखा ही नहीं जाता था। प्राचीन मिश्र में पैपीरस या पटेरा नाम के पेड़ की पतली छाल पर लिखा जाता था (अंग्रेजी का ‘पेपर’ शब्द इसी पैपीरस से बना है)। लिखने के बाद इन्हें गोल-गोल लपेटकर रख लिया जाता था।पारसी और हिब्रू सभ्यता के लोग जानवरों की खाल पर लिखते थे। साफ पतली और लिखाई योग्य चिकनी खाल को ‘पार्चमेंट’ कहा जाता था। भारत में लिखाई के लिए भोज पत्र प्रचलित थे। आज भी भोजपत्र पर लिखी कई पांडुलिपियां संग्रहालयों में मौजूद हैं। 19वीं शताब्दी के मध्य तक पेड़ की छाल, रूई, सनई आदि से कागज बनाया जाता रहा, पर धीरे-धीरे इन चीजों की कमी होने लगी। तब लकड़ी की लुग्दी का इस्तेमाल शुरू हुआ। सबसे पहले 14 जनवरी, 1863 को बोस्टन से छपा एक अखबार पूरी तरह से लकड़ी की लुग्दी से बने कागज पर छपा था। किताबें छापने और लिखाई के उपयोग के अलावा, कागज को और भी बहुत सी चीजें बनाने में इस्तेमाल किया गया। इनमें शायद सबसे अनोखी चीज थी कागज का सूट। यह लोकप्रिय भी हो जाता है, अगर यह बरसात में गलता नहीं।