समय की कीमत पहचानें 

संसार में सबसे अमूल्य चीज समय है। बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। हर दिन हमारे लिए एक नया दिन होता है जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हमारे पास बुद्धि है। फिर क्यों न हम समय का उचित उपयोग करें। प्रकृति के सब कार्य समय पर पूर्ण होते हैं जैसे कि समय पर फसलें खेतों में लहलहाती हैं। समय पर ऋतु परिवर्तन होता है। समय पर पेड़ों पर फल-फूल खिलते हैं। फिर मानव क्यों अबोध बन कर रहे? मानव को यह अनमोल जन्म मिला है। शरीर नश्वर है। पता नहीं कब यह जीवन लीला समाप्त हो जाए, इसीलिए समय रहते चेत जाएं।  संसार में हर व्यक्ति सुखी जीवन जीना चाहता है, फिर जीवन में आलस्य क्यों? निश्चित समय पर सब काम करने से जीवन में नियमितता और अनुशासनबद्धता आती है अन्यथा अंत में पश्चाताप करना पड़ता है। कहा भी है - अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियां चुग गईं खेत। काल का प्रवाह अबाध बह रहा है। वह कभी भी हमारे लिए थम नहीं सकता है। हम योजनाएं बनाते हैं, विभिन्न तैयारियां करते हैं। जिस भविष्य में वे योजनाएं क्रियान्वित होनी हैं, वह तो हमारे हाथ में है ही नहीं। फिर प्रतीक्षा किस बात की? आलस्य में समय मत गवाएं। काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय होगी, बहुरि करेगा कब। जीवन को सफल बनाने के लिए समय ही सही कुंजी है। यह उत्तम जीवन प्रभु ने वरदान में दिया है। इसका सदुपयोग करें। प्रभु से जुड़ने का यही स्वर्ण अवसर है। बचपन अबोध अवस्था है। जवानी विलासिता में बीत जाती है। वृद्धावस्था बुढ़ापे की परेशानियों में बीत जाएगी इसलिए समय रहते अपने जीवन का उद्धार कर लें। समय की कीमत को पहचानें अन्यथा मैं-मैं करते रहेंगे और खाली हाथ चले जाएंगे। अपनी चाहतों को काबू करना सीखें। एक इच्छा यदि पूरी न हो तो इच्छा ही रहती है, परन्तु यदि पूरी हो जाती है तो इच्छाएं बढ़ती रहती हैं। जीवन भर हम कुछ न कुछ पाने के लिए भागते रहते हैं। न जीता हुआ जुआरी खेल छोड़ना चाहता है, न हारा हुआ। इस भागमभाग में जीवन का कालचक्र समाप्त हो जाता है। यह सिलसिला युगों-युगान्तरों से जन्म जन्मांतरों तक अनवरत चलता रहता है। इसलिए समय की कीमत को पहचानें।  

—प्रकाश सेतिया