संगति का असर

एक बार एक राजा जंगल में अपने मार्ग से भटक गया और थककर एक पेड़ के नीचे विश्राम करने बैठ गया। उस पेड़ पर एक तोता बैठा था। राजा को देखकर वह चिल्लाने लगा-पकड़ो, मारो, छीन लो। कुछ देर आराम करने के बाद राजा आगे बढ़ा तो उसे वहां एक कुटिया दिखाई दी। कुटिया में प्रवेश करते हुए राजा के कानों में मधुर आवाज़ आई-आइए, पधारिए, आसन ग्रहण कीजिए। राजा हैरान था। कुटिया के भीतर एक महात्मा से राजा ने तोतों की ऐसी अलग-अलग वाणी के बारे में पूछा। महात्मा ने राजा को बताया-राजन! माना कि ये दोनों तोते भाई हैं, परंतु एक वहां जंगल में अक्सर चोर डकैती की बातें सुनता है और उनकी संगति में रहने के कारण उन्हीं की भाषा जानता है, जबकि दूसरा, सत-पुरुषों के बीच रहने के कारण, उनकी मधुर भाषा सीख गया है। संगति का हम पर ऐसा ही प्रभाव पड़ता है।