पराली को आग लगाने से रोकने में असमर्थ सरकार

मानांवाला, 18 सितम्बर (अ.स.): पंजाब सरकार द्वारा किसानों को धान की पराली को आग न लगाने की की जाती अपीलें-दलीलें उस समय व्यर्थ साबित होती हैं, जब किसानों द्वारा धान की पराली को लगाई आग नज़र पड़ती है। सरकार द्वारा जहां बड़े स्तर पर विज्ञापन जारी कर किसानों को धान की पराली को आग न लगाने की अपील की जाती है वहीं कृषि विभाग को कड़े निर्देश हैं कि धान की पराली को आग लगाने से किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ सख्ती से रोका जाए परन्तु ब्लाक जंडियाला गुरु व वेरका से संबंधित गांवों में किसानों द्वारा धड़ल्ले से धान की पराली को आग लगाने की घटनाएं आम देखी जा सकती हैं। किसानों द्वारा शीघ्रता के चक्कर में धान की पराली को आग लगाकर उपजाऊ धरती की हिक को जलाने के साथ-साथ लाखों मित्र जीव जंतुओं को जलाया जा रहा है। मानांवाला से जंड वाया तलवंडी डोगरां को जाते देखा गया कि कई किसानों को अपनी ज़मीन में धान की पराली को आग लगाई हुई थी तथा दूसरी ओर कुछ ऐसे जागरूक किसान भी देखे गए, जो पराली की गांठें बनाकर पराली को सम्भालने का प्रशंसनीय प्रयास कर रहे थे। ज़िला मानसा के गांव मत्ती से बेलर (पराली की गांठें बनाने वाली मशीन) व रैक (पराली को एक लाइन में एकत्र करने वाली मशीन), ट्रैक्टर ड्राइवरों व मज़दूरों सहित पहुंचे गुरजिन्द्र सिंह ने उक्त मशीनों द्वारा कुछ किसानों ने खेतों में पराली की गांठें बनाई हैं तथा जिन खेतों में पराली की गांठें बन गईं उनमें आग लगाने की ज़रूरत  नहीं पड़ती। गुरजिन्द्र सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र के अधिकतर किसानों में खेतों को आग लगाए जाने का रुझान अधिक होने के कारण उनको काम कम मिला है, जिससे हमें मशीनों सहित वापस जाना पड़ रहा है। 
गुरजिन्द्र सिंह ने बताया कि हम केवल 1200 से 1500 रुपए प्रति एकड़ गांठें बनाने का मेहनताना लेते हैं, जिसमें से गुज्जर भाईचारे के लोग एक एकड़ की पराली की गांठों की खरीद 1000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से कर लेते हैं परन्तु बहुत से किसानों द्वारा 200 से 500 रुपए प्रति एकड़ खर्च भी न सहारे जाने के कारण हमें घाटा पड़ा है तथा ऊपर से सरकार ने 50 लाख रुपए की खरीदी मशीनों की सब्सिडी भी नहीं दी। जब इस प्रतिनिधि ने इस मामले की गहराई तक जाने की कोशिश की तो पता चला मालवे के बहुत सारे क्षेत्र में किसान पराली को आग नहीं लगाते क्योंकि उधर बेलर व रैक जैसी मशीनों के मालिक मुफ्त पराली की गांठें बनाते हैं तथा वहां के 10 मैगावाट बिजली पैदा करने वाले बायोमास प्लांट को 120 रुपए प्रति क्ंिवटल के हिसाब से बेचते हैं। इस संबंधी कृषि अमृतसर के मुख्य कृषि अधिकारी डा. दलबीर सिंह छीना से बात की तो उन्होंने बताया कि ज़िले के डिप्टी कमिश्नर शिवदुलार सिंह ढिल्लों के दिशा-निर्देशों तहत पंजाब प्रदूषण बोर्ड, राजस्व विभाग, पुलिस प्रशासन सहित कृषि विभाग द्वारा संयुक्त टीमें बना दी गई हैं, जो ज़िले में आग लगाने वाले किसानों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करेंगी।