वित्त मंत्री द्वारा घरेलू कंपनियों के कॉर्पोरेट कर में कटौती का ऐलान

पणजी, नई दिल्ली, 20 सितम्बर (एजेंसी, उपमा डागा पारथ) : आर्थिक वृद्धि को नरमी से उबारने तथा निवेश एवं रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने शुक्रवार को कारपोरेट जगत के लिए करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए की राहत वाली कई महत्वपूर्ण कर रियायतों की घोषणाएं की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लघु-बजट के रूप में देखे जा रहे इस ताज़ा प्रोत्साहन पैकेज से कारपोरेट कर की प्रभावी दरें करीब 10 प्रतिशत नीचे आ गई हैं। विश्लेषकों के अनुसार इस तरह भारत इस मामले में निवेशकों के लिए अमरीका और आसियान के बाजारों की तरह आकर्षक लग सकता है। आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में गिर कर पांच प्रतिशत पर आ गई जो छह साल का निम्नतम स्तर है। अर्थव्यवस्था को कम वृद्धि की रफ्तार से उबारने के लिए पिछले कुछ सप्ताह में सरकार का यह चौथा प्रोत्साहन पैकेज है। वित्त मंत्री ने गोवा में जीएसटी परिषद की बैठक से पहले जिन राहतों की घोषणा की, इनसे सरकारी खजाने को सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। इन घोषणाओं को विकास में सहायक तथा भविष्य के अनुकूल माना जा रहा है। हालांकि राजकोषीय स्थिति पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा और घाटा के लक्ष्य को पाने में सरकार के चूकने की आशंका बढ़ गई है। सीतारमण ने मौजूदा कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की आधार दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करने की घोषणा की। इससे कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर 34.94 प्रतिशत से कम होकर 25.17 प्रतिशत पर आ जाएगी। इसके साथ ही 1 अक्तूबर 2019 के बाद बनने वाली तथा 31 मार्च 2023 से पहले परिचालन शुरू कर देने वाली विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की आधार दर 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने की भी घोषणा की गई। इससे इन कंपनियों के लिये प्रभावी कॉरपोरेट कर की दर 29.12 प्रतिशत से कम होकर 17.01 प्रतिशत पर आ जाएगी। हालांकि इस तरह की कंपनियों के लिये एक शर्त है कि ये कंपनियां विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में स्थित इकाइयों को मिलने वाली कर छूट या किसी अन्य प्रकार के कर प्रोत्साहन का लाभ नहीं उठाएंगी। सरकार के इस कदम से देश में कॉरपोरेट कर की दरें चीन, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर आदि जैसे अन्य प्रतिस्पर्धी एशियाई बाजारों के समतुल्य हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की घोषणाओं को ऐतिहासिक कदम करार दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि इससे ‘मेक इन इंडिया’ में बड़ा उछाल आने के साथ ही निवेश भी आकर्षित होगा, निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और रोज़गार के अवसर सृजित होंगे। रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसे बड़ा कदम करार दिया और सरकार की घोषणाओं का स्वागत किया। इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए डेरिवेटिव समेत प्रतिभूतियों की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ पर धनाढ्य-अधिभार समाप्त करने का भी निर्णय लिया गया है।