केन्द्र ने कहा-1966 से पहले पंजाब का हिस्सा था चंडीगढ़

चंडीगढ़, 23 सितम्बर (सुरजीत सिंह सत्ती): चंडीगढ़ के पंजाब अथवा हरियाणा का हिस्सा होने बारे केन्द्र सरकार ने  हाईकोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा है कि पंजाब के विभाजन से पहले वर्ष 1966 तक चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा था और पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ को केन्द्रीय शासित प्रदेश बना दिया गया था। अतिरिक्त सालीसिटर जनरल सत्यापाल जैन ने केन्द्र सरकार का हल्फनामा पेश करते हुए बैंच को उक्त तथ्य से अवगत करवाते हुए यह भी कहा कि पंजाब व हरियाणा द्वारा कही गई यह बात सही है कि यह दोनों राज्यों का हिस्सा नहीं है। 
जैन ने कहा कि भूगौलिक तौर पर चंडीगढ़ अपने आप में यूटी है, हालांकि फिर भी दोनों राज्यों की राजधानी है। हाईकोर्ट ने जवाब रिकार्ड पर लेते हुए सुनवाई आगे डाल दी है। पिछली सुनवाई पर चंडीगढ़ पर हक बारे अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए हरियाणा ने स्पष्ट कह दिया था कि चंडीगढ़ हरियाणा का क्षेत्र नहीं है। ए.जी. ने बैंच समक्ष कहा था कि चंडीगढ़ हरियाणा प्रदेश की राजधानी ज़रूर है और हरियाणा में चंडीगढ़ के लोगों को किसी भी प्रकार की नौकरियों में कोटे का आरक्षण नहीं दिया जा सकता। कुल मिलाकर हरियाणा ने सीधे तौर पर चंडीगढ़ पर अपना हक नहीं जताया था। दूसरी ओर पंजाब सरकार ने अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया था और कहा था कि कई मामलों में चंडीगढ़ पर पंजाब का हक बनता है। ए.जी. पंजाब ने पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट की कई जजमैंटाें का हवाला देते हुए कहा कि चंडीगढ़ पर पंजाब का हक बनता है। यह भी कहा कि यहां पंजाब के नियम लागू होते हैं। यह भी कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है। हालांकि पंजाब ने भी हरियाणा की तरह इस बात से किनारा कर लिया था कि चंडीगढ़ के लोगों को पंजाब की नौकरियों में आरक्षण नहीं दिया जा सकता।