ऐसे बढ़ा सकते हैं किसान अपनी आमदनी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी करने का लक्ष्य रखा है। लगभग 58 प्रतिशत आबादी के लिए कृषि जिसमें पशुपालन,मत्स्य पालन, सुअर पालन आदि भी शामिल हैं, रोजी-रोटी का साधन हैं। वर्ष 2018 में कृषि, वन, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन से हुई पैदावार की कीमत लगभग 18.53 ट्रिलियन रुपए बनती है। किसानों को खपतकारों द्वारा अदा की जा रही कीमत का बहुत कम हिस्सा मिलता है। कई प्रोसेसिंग करने वाले व्यक्तियों को किसानों को मिलने वाली राशि से ज्यादा राशि मिलती है और उनका मुनाफा ज्यादा होता है। किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा जारी की गई योजनाओं की भी जानकारी होनी चाहिए।  भारत सरकार ने ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ के तहत 2021 करोड़ रुपए एक करोड़ किसानों के खातों में जमा किए। ढुलाई और मंडीकरण के लिए सहायता देने की योजना भी है। भारत सरकार ने दिसम्बर, 2018 में ‘कृषि निर्यात नीति’ स्वीकृत की, जिसके द्वारा 2022 तक 60 बिलियन अमरीकन डॉलर की कृषि पैदावार के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है। फिर भारत सरकार ने ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (पी.एम.-आशा) योजना का ऐलान किया है। इसके अनुसार सरकार की प्रोकुअरमेंट नीति पर 15053 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। फिर चीनी उद्योग के लिए सितम्बर, 2018 में कैबिनेट कमेटी ने 5500 करोड़ रुपए खर्च करने की स्वीकृति दी। प्राईमरी कृषि ऋण सोसायटियों के कम्प्यूटरीकरण के लिए 2000 करोड़ रुपए भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए हैं। ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ जिसके अधीन 50,000 करोड़ रुपए खर्च किये जाने हैं, स्वीकृत हो चुकी है। खाद्य प्रोसेसिंग क्षेत्र की शक्ति तीन गुणा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत 6,000 करोड़ रुपए की लागत पर ‘मैगा फूड पार्क’ बनाये जाएंगे, जिनके आधार पर एग्रो प्रोसैसिंग कलस्टर स्थापित होंगे। अनाज उत्पाद के मंडीकरण के लिए 100 प्रतिशत विदेशी पूंजी लगाने की स्वीकृति भी दी गई है। इसके अलावा भी राज्य सरकारों द्वारा कई योजनाएं चल रही हैं, जिसका अंतिम  लक्ष्य किसानों की आमदनी बढ़ाना है।  कृषि उत्पादन संगठन भी बनाये जा रहे हैं, जिसके अधीन किसान अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं। इन संगठनों के अधीन किसान एक-दूसरे के साथ विचार-विमर्श करके कोई भी कार्य एकसाथ शुरू करके फायदा उठा सकेंगे। यह संगठन तब ही सफल होंगे, यदि इसमें नेताओं का अन्य सदस्यों पर प्रभुत्व न हो। यह संगठन सदस्यों से सहायक योजनाएं अपनाएंगे ताकि उनकी आमदनी बढ़े। संगठनों के नेता सदस्य अन्य सदस्यों को जवाबदेह होंगे। फिर यह संगठन लोकतंत्र के सिद्धांतों, कायदों और कानून के अनुसार कार्य करेंगे। संगठनों की सफलता के लिए नेताओं को इनकी कारगुज़ारी संबंधी पूरा ज्ञान होना चाहिए। प्रबंधकों का प्रशिक्षण भी संगठन का कार्यक्रम होना चाहिए। किसानों की आमदनी अधिक झाड़ देने वाली फसलों की किस्मों का विस्तार करके बढ़ाई जा सकती है। गेहूं, धान, बासमती, सरसों और सोयाबीन की संशोधित किस्में विकसित की गई हैं, जिनकी पैदावार ज्यादा है और किसानों के लिए अधिक लाभदायक है। अधिक से अधिक किसानों को इन किस्मों के बीज उपलब्ध किए जाएं और पर्याप्त तकनीक मुहैया होनी चाहिए। विशेषज्ञों द्वारा हर क्षेत्र के लिए विकसित की किस्मों की जानकारी किसानों तक पहुंचाई जानी चाहिए। शहरों के साथ लगते गांवों में सब्ज़ियों की काश्त करके भी आमदनी बढ़ाई जा सकती है। फिर अलग-अलग किस्म के फूलों की हाइब्रिड किस्में तैयार हो गई हैं, जिनके द्वारा फूलों का प्राकृतिक रंग-रूप और आकार बढ़िया बन जाते हैं, ताकि यह फूल महंगे मूल्य पर बेचे जा सकें।  बेमौसमी सब्ज़ियां उगाकर भी आमदनी बढ़ाई जा सकती है। इन सब्ज़ियों को उगाने के लिए सस्ते पॉली हाऊस बनाने की तकनीक विकसित हो गई है। इन पॉली हाऊसों के मॉडल को भारतीय कृषि खोज संस्थान नई दिल्ली में देखा जा सकता है। इस प्रकार का पॉली हाऊस 650-700 रुपए प्रति वर्ग मीटर की लागत पर तैयार हो जाता है। पंजाब सरकार दोराहा में फूलों का ‘सैंटर ऑफ ऐक्सालेंस’ स्थापित कर रही है। सब्ज़ियों संबंधी ऐसा केन्द्र करतारपुर में, फलों संबंधी होशियारपुर और आलुओं का जालन्धर में स्थापित है। इन केन्द्रों से किसान बढ़िया पौधे और प्लांटिंग के लिए सामान प्राप्त कर सकते हैं। सब्ज़ियों का ऐसा एक केन्द्र करनाल में भी स्थापित है। लेज़र लेवलिंग, भूमि के नीचे पाईप लाईन से सिंचाई, छिड़काव से सिंचाई आदि जैसी तकनीकें पानी की बचत करती हैं और किसानों के लिए
लाभदायक साबित हो रही हैं। एक अनुमान के अनुसार इन तकनीकों को अपनाकर सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी में 40 प्रतिशत तक की बचत करनी सम्भव है। अकेले लेज़र लेवलिंग से ही 20 प्रतिशत सिंचाई की कम ज़रूरत पड़ती है पानी की बचत के लिए अन्य कई तकनीकें विकसित हो गई हैं, जिनसे किसानों को फायदा उठाना चाहिए। किसान अपनी आमदनी पशुपालन, मशरूमों की काश्त, मत्स्य पालन जैसे धंधे अपनाकर भी बढ़ा सकते हैं। यह कृषि सहायक धंधे छोटे किसानों के लिए और भी महत्वपूर्ण हैं। भारत के खाद्य उद्योग का बहुत विस्तार हुआ है और इसका वैल्यू एडीशन तथा फूड प्रोसेसिंग उद्योग के लिए विशेष महत्व है। भारत का फूड प्रोसेसिंग उद्योग कुल खाद्य पदार्थों की मंडी का 32 प्रतिशत है। यह उद्योग कुल उत्पादन में 8.80 प्रतिशत तक योगदान डालता है और भारत के निर्यात का 13 प्रतिशत तथा उद्योग में की गई लागत का 6 प्रतिशत है। वैल्यू एडीशन से किसान अपनी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं। अधिक आमदनी के लिए
किसानों को अपने उत्पाद को अन्यों से अलग और अनोखा करना चाहिए, जिसमें कोई विशेष गुणवत्ता हो। इस तरह उनको उत्पाद की कीमत अधिक मिलेगी। इस संबंधी उनको उत्पाद के खरीदारों की ज़रूरत और पसंद की जानकारी होनी चाहिए और इस उत्पाद को उन तक उचित ढंग से पहुंचाया जाना चाहिए। जैविक उत्पादों से भी वह अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। 

मो. 98152-36307