प्रशासन की सख्ती के बाद दशहरा पर्व के मद्देनज़र पुतले बनाने के कार्य में आई मंदी

अमृतसर, 2 अक्तूबर  (राजेश कुमार): गत वर्ष दशहरे के अवसर पर अमृतसर में घटे बड़े हादसे के बाद ज़िला प्रशासन और अन्य विभागों द्वारा अख्तियार किए कड़े रुख कारण दशहरा समागम करवाने वालों की संख्या कम हो गई है और दशहरे के संबंध बनाए जाने वाले रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतलों की मांग कम हो गई है जिसको लेकर पुतले बनाने वाले कारीगारों में निराशा पाई जा रही है। बदी पर नेकी की जीत का प्रतीक दशहरा का त्यौहार गत कुछ वर्षों से मुख्य बड़े समागमों के अलावा हर गली मोहल्ले में पुतले जला कर मनाया जाना शुरू हो गया था। जिसकी बहुत से लोगों द्वारा सरकारी तौर पर आज्ञा भी नहीं ली जाती थी। प्रशासन की भी इस तरफ लापरवाही थी परन्तु गत वर्ष दशहरा के अवसर पर अपनाई गई लापरवाही के कारण 50 से अधिक जिंदगियां मौत के मुंह में चली गईं। इस घटना के बाद इस बार ज़िला प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए दशहरा समारोहों संबंधी मंज़ूरी प्रति सख्ती कर दी। जिसके परिणाम स्वरूप बहुत स्थानों पर इस बार दशहरे की तड़-तड़ सुनने को नहीं मिलेगी। दशहरे के अवसर पर बनाए जाने वाले रावण, मेघनाद, कुम्भकर्ण के पुतलों की मांग घट गई है। पुतले बनाने वाले कारीगरों को एक तरफ जहां पहले ही महंगाई की मार झेलनी पड़ रही थी वहीं पुतलों की मांग घट जाने कारण उनमें निराशा पाई जा रही है।