विरासत का प्रतीक हैं श्री हरिमंदिर साहिब समूह में स्थित तीन ऐतिहासिक बेरियां

अमृतसर, 6 अक्तूबर  (अ.स.): श्री हरिमंदिर साहिब समूह में सदियों से स्थित ऐतिहासिक और विरासत की प्रतीक तीन पुरातन बेरियां शिरोमणि कमेटी द्वारा बागवानी विशेषज्ञों के सहयोग से देखभाल किए जाने कारण यह बेरियां एक बार पुन: आस्था का भरपूर फल देने के लिए तैयार हैं। श्री हरिमंदर साहिब समूह में एक इमली का वृक्ष और तीन ऐतिहासिक बेरियां सदियों से मौजूद रही हैं। श्री अकाल तख्त साहिब के सामने इमली का पुरातन वृक्ष तो सन् 1984 में  ब्लू स्टार समय भारतीय फौज की भारी गोलाबारी दौरान जल कर समाप्त हो गया था जिसके बाद पुन: उसी स्थान पर एक नई इमली का वृक्ष लगाया गया था। इसके अलावा परिक्रमा में स्थित तीनों पुरातन बेरियां, जिनमें दुख भंजनी बेरी, बेर बाबा बुड्ढा साहिब व इलायची बेर शामिल हैं, पुन: हरी-भरी हो गई हैं और इनको आने वाले दिनों में भरपूर फल लगने जा रहा है। यह बेरियां जहां इस अध्यात्मिक स्थान की सुंदरता में और बढ़ोतरी करती हैं, वहीं संगतं के नेत्रों को हरियाली प्रदान करते हुईं सुखद अहसास करवाती हैं। इन तीनों बेरियों का अलग-अलग इतिहास है, जिसको सिख संगत भलीभांति जानती हैं।  यह तीनों बेरियों के नीचे इनके इतिहासिक को दर्शाते बोर्ड भी प्रबंधकों द्वारा लगाए हुए हैं। इन बेरियों पर लगते छोटे-बड़े बेरों को चाहे प्रबंधकों द्वारा तोड़ने की सख्त मनाही है, परन्तु कई श्रद्धालु घंटों तक झोली फैला कर खड़े रहते हैं और फल के स्वयं गिरने या पक्षियों की हिलजुल या हवा के झोंके से गिरने का इंतज़ार करते हैं। इसी दौरान शिरोमणि कमेटी के मुख्य सचिव डा. रूप सिंह ने बातचीत करते हुए बताया कि गुरु साहिबान द्वारा वृक्षों की महत्ता का संदेश संगत को देती यह बेरियां ठंडी छाया देने के साथ पर्यावरण को स्वच्छ रखने व रात के समय हज़ारों पंछियों के रैन बसेरे का भी साधन बनती हैं।  उन्होंने बताया कि खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी लुधियाना के बागबानी विशेषज्ञों द्वारा करीब प्रत्येक महीने किए जाती देखभाल पक्षियों लम्बे समय से फल दे रही हैं।  श्री हरिमंदिर साहिब के मैनेजर जसविंदर सिंह दीनपुर ने बताया कि इन बेरियों के तने व फल को कीड़ों से बचाने के लिए दवाईयों आदि का छिड़काव, टाहनियों की वर्ष में दो तीन बार छंगाई और तनों के आस-पास सही स्तर में मिट्टी व खाद आदि डाल कर इनकी देखभाल की जाती है।