अनुकरणीय मित्रता

बंगला देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद भारत के दौरे पर हैं। दोनों पड़ोसी देशों के संबंध इस समय अत्यंत सहयोगपूर्ण एवं मित्रता वाले बने हुए हैं। हसीना वाजिद इस उस शेख मुजीब-उल-रहमान की बेटी हैं जिस लोकप्रिय नेता ने बंगला देश को बनाने में मुख्य भूमिका निभाई थी। एक सैनिक ब़गावत में उन्हें परिवार सहित मार दिया गया था। शेख हसीना ही परिवार में से अकेले बची थीं। उन्हें भी लम्बी अवधि तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पूर्वी पाकिस्तान 1971 में पाकिस्तान से कट कर सुदूर पूर्व में बंगला देश के नाम से एक नया देश बन गया था। भारत ने इसकी स्वतंत्रता के संघर्ष में इस प्रकार सहायता की थी, कि जिसे भुलाया नहीं जा सकता। शेख हसीना वाजिद के मन में अभी भी वही भावनाएं बरकरार हैं। उन्होंने देश में बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं। कभी गरीबी एवं बाढ़ों में फंसा रहा यह देश आज अपने पांव पर खड़ा हो रहा है। इसकी आर्थिकता भी मजबूत हो रही है। इसके साथ-साथ शेख हसीना ने देश में से आतंकवाद को खत्म करने के लिए भी पग उठाए हैं। उन्होंने विद्रोहियों को अदालतों के माध्यम से कठोर से कठोर सज़ाएं दिलाई हैं। भारत उनकी कठिन घड़ियों में उनके साथ खड़ा रहा है। विगत लगभग 10 वर्ष से दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर बने हुए हैं, परन्तु दोनों के बीच तीस्ता नदी के पानी को लेकर उभरा विवाद अभी तक पूरी तरह नहीं सुलझा। बंगला देश को रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या से भी दो-चार होना पड़ रहा है। भारत में नागरिकता संबंधी कौमी रजिस्टर से भी बंगला देश  चिंतित दिखाई देता है, क्योंकि आसाम एवं देश के कुछ अन्य भागों में बहुत से शरणार्थी बंगला देश से ही शामिल होते रहे हैं। यदि इनकी नागरिकता को खत्म कर दिया जाता है तो यह जहां बंगला देश के लिए एक बड़ी समस्या हो जायेगी, वहीं दोनों देशों में इसे लेकर भारी तनाव भी पैदा हो सकता है। इन समस्याओं के संबंध में दोनों प्रधानमंत्रियों ने खुलकर विचार भी किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस संबंध में शेख हसीना को बड़ा आश्वासन दिलाया है कि बंगला देश को इससे चिंतित होने की आवश्यकता नहीं। यह भारत का आन्तरिक मामला है। दक्षिणी एशिया के देशों ने बड़ी सूझबूझ एवं साहस के साथ ‘सार्क’ संगठन बनाया था, परन्तु पाकिस्तान के साथ भारत के अच्छे संबंध न रहने के कारण इस संगठन का जो लाभ इस क्षेत्र को मिल सकता था, वह नहीं मिल सका। इसीलिए भारत ने पाकिस्तान के बगैर अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर बिमसटिक  संगठन बनाया है, जिसके अच्छे परिणाम निकलने की आशा की जा सकती है। दोनों देशों का अटूट संबंध है। बंगला देश एवं पश्चिम बंगाल की भाषा सांझी है, तथा काफी सीमा तक इस सांस्कृतिक साझेदारी ने आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने का ही कार्य किया है। इसलिए यदि दोनों देश आपसी सहयोग हेतु समझौता करते हैं तो यह क्रिया अधिक स्वभाविक प्रतीत होती है। शेख हसीना के इस दौरे के दौरान सांस्कृतिक, शिक्षा एवं युवाओं संबंधी फैसले भी लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं। इसके साथ-साथ समुद्र के माध्यम से अपनी सीमाओं की रक्षा हेतु किए गए समझौतों से बंगला देश की चिटागांग एवं मोगला बन्दरगाहों का इस्तेमाल दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। बंगला देश के लिए भारत में व्यापार करना एक बड़ी मंडी उपलब्ध होने के समान है। उदाहरण स्वरूप इसके घरेलू गैस भण्डारों के संबंध में हुआ समझौता बंगला देश की आर्थिकता को भारी समर्थन देने के समर्थ होगा। 
बंगला देश को अभी भी आतंकवाद की समस्या के साथ जूझना पड़ रहा है। भारत भी विगत लम्बे समय से इसका शिकार हो रहा है। दोनों देश मिलकर इसका मुकाबला करने में सक्षम हो सकते हैं। भारत क्योंकि एक बड़ा देश है, इसलिए उसे अपने विशाल बाज़ार को बंगला देश के लिए खोलना चाहिए, ताकि उसकी आर्थिकता अधिक मजबूत हो सके। यदि बंगला देश की आर्थिकता मजबूत होती है तो इसका शरणार्थियों की समस्या पर भी भारी असर पड़ सकता है। इस समय दोनों देशों की अनुकरणीय दोस्ती सार्क के सदस्य अन्य देशों के लिए भी एक उत्साहजनक उदाहरण बनेगी, जिससे प्रत्येक पक्ष से इस क्षेत्र की  समृद्धि जुड़ी हुई है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द