रामायण कथा के रंग अनेक 

उत्सव ऋतु में, विजयदशमी से दीपावली के मध्य अनेक रूपों में श्री राम की कथाएं सम्पूर्ण भारत के विविध क्षेत्रों में अपने विशिष्ट रूपों में प्रदर्शित की जाती हैं। रामकथा 25,000 श्लोकों से रचित महाकाव्य रामायण का सार्वजनिक प्रदर्शन है। इसका संदेश केवल दुष्टता पर अच्छाई की विजय ही नहीं, न्याय, बलिदान, संन्यास, वीरता के भावों का प्रदर्शन करना भी है। राम कथा है धर्म की विजय की कथा। धर्म वह सत्यनिष्ठ आचार है जो कर्त्तव्यों और सिद्धांतों के पालन से उत्पन्न होता है चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों। रामायण की अन्य प्रमुखताएं हैं - अनेक कथाओं का गाकर, बोलकर एवं नृत्य नाटक द्वारा वर्णन।
रामकथाओं की विविधता  
रामकथाएं अनेक बड़े और छोटे साहित्यिक कार्यों एवं नाटकों का प्रेरणास्रोत हैं। रामकथा से संबंधित स्थानों पर प्रसिद्ध तीर्थ या धार्मिक स्थल हैं, जिनकी प्रमुखता रामायण के पात्र हैं। समय के साथ-साथ उनका निगमन उस स्थान की संस्कृति से हुआ। इस अंतराल में अनेक परिवर्तनों के कारण ‘स्थानीय रामकथाओं’ ने जन्म लिया। रामायण की रामकथाओं को यात्रियों, व्यापारियों और पेशेवर कथाकारों द्वारा प्रत्येक दिशा में फैलाया गया। स्थानीय अनुवादों में, स्थानीय रीति-रिवाजों का प्रभाव स्पष्ट दिखता है। राम कथाकार अपनी सादा धार्मिक भावना से रामायण का वर्णन आरंभ करता है। वह स्वाभाविक और अस्वाभाविक घटनाओं को संदेह रहित और निश्चित विश्वास के साथ सरलता से श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत करता है। रामकथा नाटक रूप और सस्वर गायन के संग रामायण के भागों की पुन: प्रस्तुति है। 
हिमाचल की रामायण
हिमाचल प्रदेश की सदियों पुरानी संस्कृति और कला में रामकथा से संबंधित प्राचीन एवं पारम्परिक स्थानीय नृत्य नाटक और गीत हैं। विहंगम दृश्यों वाले हरे-भरे पर्वतों और घाटियों से रामकथा की ध्वनियां उभरती हैं। जहां हिमाचल प्रदेश की रामकथा की वाल्मीकि रामायण से अनेक समानताएं हैं, वहीं उसका अपना एक और अद्वितीय रूप है जो स्थानीय प्रभावों से विकसित हुआ। राम कथाकारों के परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी रामकथा का प्रदर्शन करते आ रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में रामकथा पारम्परिक हिमाचली गीतों के रूप में श्रोताओं के सम्मुख प्रस्तुत की जाती है। इसकी प्रस्तुति के लिए स्थानीय धार्मिक रीतियों और नृत्य का सहारा  लिया जाता है। श्री राम तो यहां के रहने वाले समुदायों के नित्य जीवन का केन्द्र हैं और जब रामायण का मौखिक व्याख्यान होता है तो रामकथा द्वारा मानो राम के दर्शन संभव हैं।
हिमाचल की बहुमुखी रामकथाएं
चाढी गायन : देवभूमि के प्राकृतिक सौन्दर्य से ओत-प्रोत घाटियों से चाढी गायन के सुर चहुं दिशाओं में फैलते हैं। यह एक गीत शैली है जिसमें पौराणिक और धार्मिक हिन्दू कथाओं को गीतों की सहायता से सजीव रूप दिया जाता है। वाद्य यंत्रों बांसुरी, देवकुनी और कानसी से चाढी रामायण को गाया जाता है। हमारे सम्मुख दो गायकों के समूह थे-एक तो वे जो मुख्य रामायण कथा के अंश गाते हैं और दूसरे वे जो गाई हुई पंक्तियों को दोहराते हैं। इन सबके समावेश से लालित्यपूर्ण रामायण का प्रदर्शन किया जाता है। चाढी रामायण को विशेष अवसरों और उत्सवों के समय मंदिरों, घरों और सार्वजनिक सभाओं में प्रस्तुत किया जाता है।
मुसादा 
कृतिक संपदा एवं संस्कृति में लिपटे हिमाचल प्रदेश के ‘गद्दी समुदाय’ की रगों में सुरीला संगीत बसा है जिसका प्रमुख अंग रामकथा है। मुसादा रामायण में कथा वर्णन को गाया जाता है। इसके बाद प्रदर्शन हेतु दो जन स्टेज पर बैठे थे-पुरुष गायक और उसकी पत्नी, महिला-सहयोगी गायक। कुछ मुसादा रामायण में गायक स्वयं दो वाद्य यंत्र भी बजाने में सक्षम होता है। गायन शैली को स्थानीय भाषा में ‘खंजरी भरना’ भी पुकारते हैं जो खंजरी वाद्ययंत्र के नाम से अवतरित है। खंजरी के साथ-साथ तारों वाला वाद्ययंत्र रूबाना से सुरमयी ध्वनियां उत्पन्न की जाती हैं। मुसादा गायन का प्रयोग शिव कथा एवं अन्य धार्मिक कथाओं में भी किया जाता है।
बरलज
मंदिर के आंगन में अग्नि के समक्ष, रात्रि के समय, धार्मिक पूजन के साथ बरलज रामकथा का आयोजन किया जाता है। गीतों के साथ ढोल, करनल और रणसियां वाद्ययंत्रों से रात भर पवित्र अग्नि के सामने नृत्य भी किया जाता है। बरलज स्थानीय लोक नृत्यों और गीतों से परिपूर्ण नाटक है जो हिमाचल प्रदेश की प्राचीन कला का अंग है। बरलज रामायण के पात्र राजा बाली की कथा पर आधारित नृत्य नाटक है जो उनकी याद में किया जाता है। शिमला, कांगड़ा एवं सोलन क्षेत्रों में बरलज लोकप्रिय है और राजा बाली की कथा के अतिरिक्त रामायण की अन्य कथाओं को भी इसके अंतर्गत प्रदर्शित किया जाता है।
संस्कार गीत 
हिमाचल प्रदेश के संस्कार गीत यहां के भक्ति गीत हैं जो जन्म और विवाह से संबंधित धार्मिक अवसरों पर गाए जाते हैं। रामायण में श्री राम के जन्म और विवाह को मुख्य विषय मान कर संस्कार गीतों के द्वारा श्रोताओं तक पहुंचाया जाता है।