हाईकोर्ट ने खारिज की नास्तिकता का सर्टीफिकेट जारी करने की मांग

चंडीगढ़, 9 अक्तूबर (सुरजीत सिंह सत्ती) : एक व्यक्ति ने अजीबो-गरीब मांग करते हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उसको नास्तिकता का सर्टीफिकेट जारी करने की फरियाद लगाई पर हाईकोर्ट ने यह मांग खारिज करते कहा है कि किसी भी अथारिटी को ऐसी हिदायत नहीं की जा सकती कि वह किसी नास्तिक व्यक्ति के लिए यह सर्टीफिकेट जारी करे कि वह व्यक्ति किसी धर्म या जाति के साथ संबंध नहीं रखता और उसको भगवान पर भरोसा नहीं है। जस्टिस टी.एस. ढींडसा की एकल बैंच ने याचिका खारिज करते कहा है कि संविधान में हर व्यक्ति को अपनी सोच समझ रखने का हक है तो इसी हक के तहत उस व्यक्ति को अपने आप ही यह अख्तियार भी मिलता है कि वह किसी धर्म के साथ संबंध नहीं रखता। संविधान की धारा 25 में हर व्यक्ति को हक है कि वह नास्तिक होने का दावा कर सकता है। बैंच ने कहा कि समझ की स्वतंत्रता किसी व्यक्ति को यह मौलिक हक देती है कि वह किसी भी धर्म में विश्वास रख सकता है तो इसी तरह उस व्यक्ति को यह जाहिर करने का हक भी है कि वह किसी धर्म के साथ संबंध नहीं रखता। बैंच ने कहा कि याचिका अपने आप को नास्तिक कह रहा है और पटीशन मुताबिक वह किसी धर्म में विश्वास नहीं करता और न ही आस्था रखता है। इसको यह भी माना जा सकता है कि वह अनुसूचित जाति की श्रेणी के साथ संबंध रखते हुए भी आरक्षण के तहत मिलते लाभ नहीं ले सकता। बैंच ने कहा कि यह पटीशन का हक है कि वह किसी धर्म में विश्वास रखें या न रखे पर कोई अथारिटी याचिका पर यह बात नहीं थोप सकती कि वह किसी धर्म विशेष में आस्था रखे या भघवान पर भरोसा रखे।