देशी चना में तेजी की संभावना

नई दिल्ली, 13 अक्तूबर (एजैंसी): पिछैती बरसात से चने की बिजाई में विलम्ब होने की संभावना प्रबल हो गयी है। दूसरी ओर उत्पादक मंडियों में आवक टूटने लगी है। दूसरी ओर आयात का कोई पड़ता नहीं है तथा चालू माह में बिजाई के लिए मांग निकलने लगी है तथा इन सारे हालातों से देशी चने का बाजार अभी और बढ़ सकता है। सितम्बर माह में देशी चने का व्यापार कुछ सुधार पर रहा क्योंकि सरकार जो काफी नीचे माल बेच रही थी, उसकी बिकवाली थोड़ी ठहर गयी तथा चर्चा थी कि सरकार 4400 रुपए से कम में देशी चना नहीं बेचेगी। 
पिछले महीने सरकार व डिब्बा दोनों ही मिलकर समर्थन मूल्य से 600/700 रुपए क्विंटल मंदे भाव में माल बेच दिये थे, जो अब डिब्बा 300 रुपए समर्थन मूल्य से नीचे दिखा रहा है। पहले से डिब्बा सुधरा है। सरकार एक तरफ समर्थन मूल्य लगातार अनाज-दाल का बढ़ाकर किसानों को लाभ दिलवाने का झांसा देती है। वहीं अपने स्टॉक के माल समर्थन मूल्य से नीचे बेच देती है। इससे सबसे ज्यादा किसान मारे जाते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि किसानों का माल सरकार सभी राज्यों व मंडियों से नहीं खरीद पाती है तथा वह माल जब सरकार मंदे भाव पर बेचने लगती है तो किसानों का भी माल मंदे में कट जाता है। जैसे चने का समर्थन मूल्य 4620 रुपए है। जो इस समय 4350/4360 रुपए डिब्बे में बिक रहा है। हम मानते हैं कि सरकार के पास भी ज्यादा स्टॉक नहीं है। केवल विभागीय मंत्रीगण की घोषणा पर बाजार चलकर ठिठक जाता है। अन्यथा वर्तमान भाव के चने में भरपूर लाभ मिलना चाहिए। पिछले दिनों राजस्थानी माल नीचे में 4200 रुपए खड़ी मोटर में बिकने के बाद 4475 रुपए ऊपर में वर्तमान में हो गया है।