सोयाबीन और घट सकता है

नई दिल्ली, 13 अक्तूबर (एजैंसी): मध्य प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े उत्पादक राज्य में प्रमुख खरीफ तिलहन, सोयाबीन, की आवक बढ़ने के कारण हाल ही में इसमें करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। आगामी दिनों में आवक का दबाव और बढ़ने पर सोयाबीन और घट सकता है। देश के सबसे बड़े उत्पादक राज्य, मध्य प्रदेश, में प्रमुख खरीफ तिलहन, सोयाबीन, की आवक का दबाव बढ़ने लगा है। इसके फलस्वरूप इंदौर मंडी में सोयाबीन हाल ही में 4 हजार रुपए के ऊंचे स्तर की तुलना में करीब 350-400 रुपए मंदा होकर फिलहाल 3600/3650 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। दूसरी ओर,  महाराष्ट्र में सोयाबीन की आवक का पर्याप्त दबाव अभी तक नहीं बन पाया है। 
इससे भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि राज्य की विभिन्न मंडियों में पुराने सोयाबीन का स्टॉक भी तेजी से घटता जा रहा है। यही वजह है कि महाराष्ट्र की जलगांव मंडी में पुराना सोयाबीन निचले स्तर की तुलना में अंतिम सूचना के समय 100 रुपए तेज होकर 3750/3800 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया जबकि नया सोयाबीन नमी एवं क्वालिटी के आधार पर 3000/3500 रुपए के पूर्वस्तर पर ही रुका रहा। नए मालों में नमी की अधिकता है। पिछले दिनों हुई वर्षा के कारण मध्य प्रदेश के वर्षा और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल को कहीं 25 तो कहीं 40-45 प्रतिशत तक की हानि हो सकती है। 
राज्य के धार, निमाड़ आदि क्षेत्रों में सोयाबीन की नई फसल की छुटपुट आवक हाल ही में शुरू हो चुकी है। यह तो सबको मालूम ही है कि मानसून सीजन का आगमन सामान्य की अपेक्षा करीब आठ-दस दिनों की देरी से हुआ था और इसके बाद भी अच्छी वर्षा की कमी बनी रही थी, इसलिए इस बार महाराष्ट्र में इस प्रमुख खरीफ तिलहन फसल की आवक का दबाव बनने में अभी समय लगने की आशंका है। 
मानसून का आगमन जिस प्रकार देरी से हुआ था, वैसे ही इसकी वापसी भी करीब दो-तीन सप्ताहों की देरी से हो रही है। बहरहाल, दूसरी ओर, इस बार सोयाबीन, समेत अन्य मौसमी फसलों की बुआई में भी कमी आई है। कृषि मंत्रालय के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में सोयाबीन की कुल 97.14 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है, जोकि इससे पूर्व सीजन की आलोच्य अवधि की तुलना में 4.40 लाख हेक्टेयर या  नीची है। इससे बाजार की धारणा में बदलाव होने का अनुमान लगाया जा रहा है। वर्षा और बाढ़ से सोयाबीन की नई फसल को हानि होने की आशंकाओं के साथ-साथ दीवाली जैसे पर्व की खपत का भी समय है।  माना जा रहा है कि चीन और अमेरिका के बीच हो रही कारोबारी वार्ता से दोनों देशों के बीच डेढ़ वर्ष से भी अधिक समय से चल रहे कारोबारी युद्ध का कोई हल निकल सकेगा। यही वजह है कि अंतिम सूचना के समय शिकागो के सक्रिय तिमाही सोया तेल वायदा 29 सैंट प्रति पौंड और केएलसीई के सक्रिय तिमाही पाम तेल वायदा में 13 रिंगिट प्रति टन की तेजी आने की जानकारी मिली। उधर, उत्पादन बढ़ने और निर्यात में कमी आने की आशंका से सोयाबीन के अंतर्राष्ट्रीय बाजार दबाव में बने हुए हैं। एसईए के नवीनतम आंकड़ों में बताया गया है कि तेल-तिलहन वर्ष 2018-19 के आरम्भिक दसवें महीने यानी अगस्त में खाद्य तेलों का आयात 5 प्रतिशत बढ़कर 15.86 लाख टन का हुआ। नवीनतम आयात को मिलाकर चालू तेल-तिलहन वर्ष के आरम्भिक दस महीनों की अवधि में इन तेलों की कुल 1,28,67,486 टन मात्रा का आयात हुआ है, जोकि बीते सीजन की आलोच्य अवधि की तुलना में 5 प्रतिशत अधिक है।