आर्थिक मंदी का दौर

चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय मंदी के दौर में भारत की आर्थिक विकास दर लड़खड़ाना हैरानीजनक तो नहीं है, परन्तु कई पक्षों से चिन्ताजनक अवश्य है। विश्व बैंक की हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार चाहे दक्षिण एशिया के देशों को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है, परन्तु भारत जो विश्व शक्ति बनने के सपने संजो रहा है, के लिए यह बात भी विचारणीय है कि इसके मुकाबले में बंगलादेश और नेपाल की आर्थिक विकास दर भारत की अपेक्षा अच्छी है। केन्द्र सरकार ने चाहे स्पष्ट रूप में मन्दी की वास्तविकता को तो स्वीकार नहीं किया, परन्तु गत दिनों के दौरान जो कदम उसके द्वारा उठाये गये हैं, वह इस दिशा की ओर ही संकेत करते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक ने कुछ क्षेत्रों में ब्याज़ दरों को घटाकर आर्थिक छूट देने का संकेत दिया था। इसके साथ ही केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वित्तीय छूटें देने का ऐलान किया था, ताकि लड़खड़ा रही अर्थ-व्यवस्था को स्थिर किया जा सके। कुछ क्षेत्रों में टैक्स रियायतें भी दी गई हैं, इन घोषणाओं का असर अचानक नहीं अपितु आने वाले समय में ही देखा जा सकेगा। परन्तु जी.एस.टी. में कमी आने से देश की आर्थिक स्थिति अवश्य प्रभावित हो रही है। लगातार दूसरे वर्ष यह आंकड़े गिरना अच्छा संकेत नहीं है। वर्ष 2017-18 में विकास दर 7.2 प्रतिशत से घटकर 6.8 प्रतिशत तक आ गई थी। इस बार इसके 6 प्रतिशत तक रह जाने की उम्मीद है। जहां तक निर्माण कार्यों का संबंध है, इसमें पहले वाली गति बनी रही है, जिस कारण इसमें घाटा नज़र नहीं आया। जिस क्षेत्र में इसका अधिक असर देखा जा सकता है, वह है कृषि। कृषि के विकास में कमी आई है, जिससे मांग कम होने के कारण विकास दर भी कम हुई है। इस क्षेत्र को हर पक्ष से अधिक मजबूत किए जाने से ही खरीद शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। देश में बेरोज़गारों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इसका देश के आर्थिक स्वास्थ्य पर सीधा असर देखा जा सकता है। समूचे रूप में सरकार के लिए कई अहम क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ाने के प्रयास करने आवश्यक हैं। इनमें एक सर्विस का क्षेत्र भी है। व्यापार में आयात की सुस्ती भी आर्थिक मंदी का एक कारण बनती है। इसके साथ ही औद्योगिक उत्पादन को भी एक बड़ा प्रोत्साहन देने की ज़रूरत होगी। सरकार ने इन क्षेत्रों में अपनी सक्रियता को कैसे बढ़ाना है, यह एक बड़ी चुनौती है। इसमें संदेह नहीं कि अर्थ-व्यवस्था की मजबूती के बिना देश को विकास के पथ पर तेज़ी से नहीं चलाया जा सकता और न ही इसको विश्व की एक बड़ी शक्ति के तौर पर पेश किया जा सकता है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द