विश्व मुक्केबाजी के सर्वोच्च शिखर पर पहुंची मैरीकॉम

एम.सी.मैरीकॉम का अर्जुन की तरह बस लक्ष्य पर निशाना था और उन्हें इसमें सफलता मिली। वह रिकॉर्ड-तोड़ आठवीं बार विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतकर सर्वकालिक महान मुक्केबाज बन गईं। उनके जितने पदक विश्व चैंपियनशिप में आजतक कोई भी मुक्केबाज नहीं हासिल कर सका। फिर चाहे वह पुरुष हो या महिला मुक्केबाज। इससे भी बड़ी बात यह है कि मैरीकॉम ने यह शानदार उपलब्धि तीन अलग अलग भार वर्गों में प्राप्त की है। इनमें शामिल हैं पिन-वेट (45 किलो), लाइट-फ्लाईवेट (48 किलो) और अब फ्लाईवेट (51 किलो)। वैसे वह अगर 12 अक्टूबर 2019 को रूस के उलान उदे शहर में वह कांस्य पदक न भी जीततीं तो भी वह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ महिला मुक्केबाज ही होतीं। क्योंकि वह आयरिश लीजेंड केटी टेलर के छह पदकों का रिकॉर्ड पहले ही तोड़ चुकी थीं, जब पिछली बार उन्होंने इस चैंपियनशिप में अपना सातवां पदक जीता था। उलान उदे की सफलता के बाद वह पुरुषों और महिलाओं दोनो ही वर्गों की सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज बन गई हैं। मैरीकॉम के पहले पुरुषों में क्यूबा के हैवीवेट मुक्केबाज फेलिक्स सवोन सर्वोच्च शिखर पर थे, जिन्होंने अपने 20 वर्ष के गैर पेशेवर मुक्केबाजी कॅरियर में सात पदक जीते थे। जबकि उलान-उदे (रूस) में आयोजित विश्व महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में छह बार की विश्व चैंपियन मैरीकॉम ने कांस्य पदक के रूप में अपना आठवां पदक जीता। मैरी के आठ पदकों में छह स्वर्ण पदकों के अतिरिक्त एक रजत पदक और अब एक कांस्य पदक भी हो गया है। वैसे मैरी ने लंदन ओलंपिक 2012 में भी कांस्य पदक जीता था, लेकिन वह ओलंपिक का पदक था, जिसकी गिनती विश्व चैंपियनशिप के पदकों के साथ नहीं होती। मैरी ने इन पदकों के जीतने का सिलसिला 2001 में अपना पहला रजत पदक जीतकर किया था। वह विश्व चैंपियनशिप का पहला सत्र था। उसके बाद उन्होंने अगले पांच सत्रों- 2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018 में स्वर्ण पदक जीते। दिल्ली में 2018 से पहले उनका आखिरी स्वर्ण पदक ब्रिजटाउन 2010 में आया था।
उल्लेखनीय बात यह है कि उनका नवीनतम पदक 51 किलो में आया है, जो एक ओलंपिक केटेगरी है। विश्व बॉक्सिंग में मैरी उस समय से पदक जीत रही हैं जब महिला बॉक्सिंग ओलंपिक का हिस्सा नहीं थी। लेकिन जब यह ओलंपिक का हिस्सा बनी तो 48 किलो केटेगरी को शामिल नहीं किया गया, जिसमें मैरीकॉम का राज था और जो उनका प्राकृतिक वेट है। अब उन्हें अपने से अधिक तगड़ी व लम्बी महिलाओं का मुकाबला 51 किलो में करना पड़ता है। गौरतलब है कि वेट कम करने पर तो पंच की क्षमता बरकरार रहती है, लेकिन बढ़ाने पर ऐसा नहीं होता है। खैर, मैरीकॉम ने पदक ऐसे समय जीते हैं, जब वह किशोरी थीं, जुड़वा बच्चों की मां थीं और अब 36 वर्ष की उम्र में खेल से कुछ दिनों के ब्रेक के बाद रिंग में लौटी हैं और भारतीय संसद के ऊपरी सदन में राज्यसभा की सदस्य हैं। हालांकि यह भी विडंबना है कि इन शानदार सफ लताओं के बावजूद मैरीकॉम से एक बार अकसर यह कहता रहता है कि वह युवा दावेदारों के लिए अपनी जगह छोड़ दें। खेल को बाइज्जत अलविदा कह दें। उन्होंने जो कुछ हासिल लिया है, बस उसी में मगन रहें। लेकिन इस ताजा पदक के साथ मैरीकॉम ने ऐसी सलाहबाजों को आईना दिखा दिया है। उनके पदक की चमक ने उन्हें अगले कुछ दिनों के लिए दिखावेबाजों और उनके ट्विटर हिमायतियों को लोगों के बीच खूब खरी खरी सुनाये जाने की स्थिति पैदा कर दी है। फिलहाल मैरीकॉम के तमाम आलोचक इस स्थिति में नहीं रह गये कि वह किसी भी सदंर्भ में मैरी की आलोचना कर पायें। एमसी मैरीकॉम ने वह कारनामा कर दिखाया है, जो उनसे पहले आज तक दुनिया की कोई महिला मुक्केबाज नहीं कर सकी थीं। बहरहाल, तीन बच्चों की मां मैरी ने इस सफलताओं के साथ टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। इससे उन्हें ओलंपिक स्वर्ण प्राप्त करने का अपना सपना साकार करने का एक अवसर और मिल जाता है। गौरतलब है कि वह रिओ 2016 के लिए क्वालीफाई नहीं कर पायीं थीं, जिसका अफसोस उन्हें आज तक है। लेकिन टोक्यो में भी उनके लिए राह आसान नहीं होगी क्योंकि वहां 48 किग्रा वर्ग नहीं होगा और उन्हें 51 किग्रा वर्ग में लड़ना पड़ेगा। मैरी में अभी भूख शेष है, इसलिए उनका सपना पूरा भी हो सकता है। वह कहती हैं, ‘मुझे सपने आते हैं कि मैं 2020 में स्वर्ण पदक डाले पोडियम पर खड़ी हूं और तिरंगा ऊपर उठता हुआ जा रहा है और स्टेडियम में राष्ट्र गान बज रहा है।’ यहां यह बताना भी आवश्यक है कि पदम्श्री, पदम्भूषण, अर्जुन अवार्ड व राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित मैरी ने पोलैंड में आयोजित 13वें सिलेसियन ओपन बॉक्सिंग टूर्नामेंट में भी 48 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। विभिन्न प्रतियोगिताओं में वर्ष 2018 तक चार स्वर्ण पदक जीते थे। तीन बच्चों को जन्म देने के बावजूद उनका बॉक्सिंग के लिए जुनून कम नहीं हुआ है। इसका श्रेय वह अपने पति व परिवार को देती हैं। मैरी ने 2005 में फुटबॉल खिलाड़ी के ओंलेर कोम से विवाह किया। रिंग से अधिक ताकत उन्हें पितृसत्तात्मक मानसिकता पर विजय पाने में लगी कि महिला को विवाह के बाद काम नहीं करना चाहिए और विशेषरूप से स्पोर्ट्स को तो कॅरियर बनाना ही नहीं चाहिए। उनका स्पोर्ट्स बॉक्सिंग है, इसने मामला अधिक खराब कर दिया था। बॉक्सिंग में महिला चैंपियन दुनियाभर में हैं, लेकिन फि र भी इसे महिलाओं का खेल नहीं समझा जाता है। मैरी के लिए पितृसत्तात्मक चुनौती 2007 में अधिक कठिन हो गई जब उन्होंने अपने पहले दो बेटों को जन्म दिया। एक मां अपने बच्चों की देखभाल क्यों नहीं करती है? वह दुनियाभर में पदकों की तलाश में क्यों रहती है, जबकि उसके बच्चे बिना उसके परवरिश कर रहे हैं?-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर