विधानसभा चुनाव तय करेंगे सरकार व राजनीतिक दलों का भविष्य

इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में पिछले 2014 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले करीब 8 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। चुनावी नतीजे गुरुवार 24 अक्तूबर को आएंगे। इस बार चुनावी नतीजे जहां एक तरफ यह बात तय करेंगे कि प्रदेश में आगामी सरकार किस पार्टी की बनेगी, वहीं इन चुनावी नतीजों से भाजपा, कांग्रेस, इनेलो व जजपा जैसे राजनीतिक दलों का भी भविष्य तय होगा। मतदान के बाद आए एग्जिट पोल नतीजों में से ज्यादातर ने प्रदेश में भारी बहुमत से भाजपा की सरकार बनने के संकेत दिए हैं। एग्जिट पोल नतीजों से जहां भाजपा का खेमा काफी उत्साहित है, वहीं विपक्षी दल यह कहकर इन नतीजों को पूरी तरह से खारिज कर रहे हैं कि कई बार एग्जिट पोल नतीजे पूरी तरह से गलत साबित हो चुके हैं। वे इस मामले में दिल्ली विधानसभा के पिछले चुनावों का उदाहरण भी देते हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के किसी भी एग्जिट पोल नतीजे ने संकेत नहीं दिए थे, लेकिन न सिर्फ सारे एग्जिट पोल नतीजे इस मामले में पूरी तरह से फेल हुए बल्कि दिल्ली में 70 में से 67 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती थीं। 
वोट प्रतिशत कम होने से बढ़ी चिंता  
पिछली बार हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान में 76 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था और भाजपा 47 सीटें जीतकर सरकार बनाने में सफल रही थी। इस बार करीब 8 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। सभी राजनीतिक दल वोट कम पड़ने को लेकर न सिर्फ चिंतित हैं बल्कि इसकी व्याख्या भी अपने-अपने हिसाब से कर रहे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि विपक्षी उम्मीदवारों के प्रति लोगों में कोई उत्साह नहीं था और न ही विपक्षी उम्मीदवार कहीं मुकाबले में थे। इसलिए लोग भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए तो घर से निकले लेकिन विपक्षी उम्मीदवारों को वोट डालने के लिए लोग घरों से बाहर नहीं आए, जिसके चलते भाजपा बड़ी जीत दर्ज करने जा रही है। दूसरी तरफ विपक्षी नेताओं का कहना है कि लोगों द्वारा बहुत कम मतदान करना यह दर्शाता है कि लोगों की सरकार के प्रति भारी नाराजगी है और लोग सरकार के खिलाफ तो वोट डालने आए, लेकिन भाजपा के पक्ष में मतदान करने वाले मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंचे, जिसके चलते भाजपा को चुनावों में करारा झटका लगने जा रहा है। कम  मतदान होना किसके पक्ष में और किसके खिलाफ जाएगा, यह तो 24 को ही पता चल पाएगा, लेकिन एक बात साफ है कि तब तक सभी राजनीतिक दल कम मतदान का अपने-अपने लिहाज से अर्थ निकालने में लगे हुए हैं। 
एक बार फिर चर्चा में ईवीएम
असंध से विधायक और भाजपा प्रत्याशी बख्शीश सिंह विर्क की एक वीडियो बड़े स्तर पर वायरल हुई और इसकी चर्चा पूरे देश में बनी हुई है। इस वीडियो में विर्क एक ग्रामीण जनसभा में यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि हमने ईवीएम में एक पुर्जा फिट किया हुआ है, जिससे हमें यह पता चल जाता है कि किसने कहां किसको वोट दिया। वह यह भी कहते सुनाई दे रहे हैं कि आप वोट जहां मर्जी डालना लेकिन वह वोट जाएगा कमल को ही और हमें ही, मिलेगा। यह वीडियो वायरल होते ही पूरे हरियाणा के साथ-साथ देश में हड़कम्प मच गया। जजपा, स्वराज इंडिया व ‘आप’ ने इस वीडियो को लेकर चुनाव आयोग के पास शिकायत भी की। 
चुनाव आयोग ने इस वीडियो के बाद असंध हल्के के लिए एक विशेष चुनाव ऑब्ज़र्वर भी तैनात कर दिया। विर्क की वीडियो को नत्थी करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां तक ट्वीट कर दिया कि पूरी भाजपा में एक ही ईमानदार आदमी है, यानी जो यह कह रहा है कि ईवीएम में हमने एक पुर्जा फिट किया है और आप वोट चाहे कहीं भी डालो, जाएगा तो कमल के निशान पर ही। हालांकि विर्क ने बाद में इस मामले में सफाई देने का प्रयास भी किया और यहां तक कहा कि उनकी बात को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। लेकिन चुनावी नतीजे अगर विपक्ष के मन-माफिक न हुए तो उन्हें इस वीडियो के बहाने यह कहने का मौका जरूर मिल जाएगा कि खुद भाजपा विधायक पहले ही कह रहा था कि वोट चाहे कोई कहीं भी डाले, वोट तो भाजपा के खाते में ही जाएगा और ईवीएम के साथ भाजपा सरकार ने छेड़छाड़ की हुई थी। 
कांग्रेस का तय होगा भविष्य 
हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व में परिवर्तन किया गया था और अशोक तंवर के स्थान पर कुमारी शैलजा को प्रदेशाध्यक्ष और किरण चौधरी के स्थान पर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया गया था। कांग्रेस खेमे में इस परिवर्तन के बाद माहौल कुछ उत्साह वाला देखा गया और कांग्रेस के ग्राफ में भी कुछ सुधार हुआ लेकिन टिकट बंटवारे से नाराज अशोक तंवर ने न सिर्फ कांग्रेस मुख्यालय पर अपने समर्थकों सहित प्रदर्शन किया बल्कि पहले कांग्रेस के सभी पदों से और बाद में कांग्रेस से ही इस्तीफा देते हुए खुलकर कांग्रेस उम्मीदवारों का विरोध शुरू कर दिया। तंवर इसके बाद खुलकर दुष्यंत चौटाला के पक्ष में चले गए और उनके साथ जजपा उम्मीदवारों के समर्थन में कई रैलियों को भी संबोधित किया।  प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा ने पार्टी के अन्य नेताओं को साथ लेकर व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने चुनाव में पार्टी की हवा बनाने का भरसक प्रयास तो किया लेकिन कांग्रेस गुटबाजी से पूरी तरह उभर नहीं पाई। पिछले 5 सालों से कांग्रेस हुड्डा गुट, तंवर गुट, किरण गुट, बिश्नोई गुट, सुर्जेवाला गुट और कैप्टन अजय सिंह जैसे गुटों में बंटी रही है। इस चुनाव में सभी नेता अपने-अपने क्षेत्र में तो अपने समर्थकों को जितवाने का प्रयास करते देखे गए, लेकिन कहीं भी पूरी कांग्रेस एकजुट होकर भाजपा का सामना करते नजर नहीं आई। 
तय होगी देवीलाल की विरासत
इनेलो के दो-फाड़ होने के बाद प्रदेश विधानसभा के आम चुनाव हुए हैं। अभी तक इनेलो व इससे अलग होने के बाद अजय चौटाला व उनके बेटे दुष्यंत चौटाला द्वारा बनाई गई जेजेपी अपने आपको चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विरासत के वारिस बताते आए हैं। इस चुनाव में यह तय हो जाएगा कि प्रदेश की जनता और चौधरी देवीलाल के समर्थक इनेलो या जजपा में से किसके साथ खड़े हैं। ये चुनाव इस बात को भी तय करेंगे कि इनेलो या जजपा में से कौन ज्यादा सीटें लेता है और किसे ज्यादा वोट प्रतिशत मिलते हैं। 
इनेलो या जजपा को मिलने वाले वोटों पर न सिर्फ दोनों दलों का भविष्य तय होगा बल्कि पार्टी को मान्यता प्राप्त दल बनाए रखने या बनवाने के लिए दोनों में से कौन सफल हो पाता है, यह भी तय होगा। इनेलो की ओर से अभय चौटाला अपनी परम्परागत सीट ऐलनाबाद से चुनाव मैदान में हैं और जजपा की ओर से दुष्यंत चौटाला उचाना से और दुष्यंत की माता नैना चौटाला बाढड़ा से चुनाव लड़ रही हैं। इन सीटों पर मुकाबला काफी रोचक  है। वैसे तो चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह रानीयां से निर्दलीय और चौधरी देवीलाल के पौत्र आदित्य भाजपा की टिकट पर डबवाली से चुनाव मैदान में हैं। इसलिए सभी की नजरें चौधरी देवीलाल परिवार के चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों पर भी लगी हुई हैं। 
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