आओ, इस बार मनाएं ‘ग्रीन दीपावली’ 

दीपावली में कुछ दिन ही शेष हैं। दीपावली हमारे देश का महापर्व है। सभी भारतीय, सभी धर्मों के लोग इसे बहुत धूमधाम से मनाते हैं। पूरा देश दीयों, मोमबत्तियों और लाइटों से सज जाता है, जिससे शहरों की सुंदरता बढ़ जाती है, लेकिन कुछ  ऐसी बातें भी हैं, जिन्हें हमें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। इस दिन करोड़ों रुपए के पटाखे आदि जलाये जाते हैं। पटाखे, फुलझड़ियां, आदि हम जलाते नहीं बल्कि हम रुपया-पैसा जला रहे होते हैं। 
हमें छोटे-सुख लेने के लिए बड़े नुक्सान को कभी भूलना नहीं चाहिए। पटाखों और फुलझड़ियों में रुपया-पैसा जलाने के साथ हम प्रदूषण को भी बढ़ावा देते हैं, न्यौता देते हैं। क्योंकि इस वक्त प्रदूषण से वैसे ही कई शहर परेशान हैं और उस पर से दीपावली में पटाखे और फुलझड़ियां शहरों के जलवायु, वातावरण, आदि को खराब करते हैं। क्योंकि बड़े-बड़े शहरों में फैक्टरियों, गाड़ियों, ट्रकों, बसों आदि के धुएं से प्रदूषण वैसे ही बढ़ता जा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में दीपावली के 7-10 दिन पहले ही प्रदूषण से जनता बेहाल दिखी है, क्योंकि पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाने से पैदा हुए प्रदूषण के कारण दिल्ली में सांस भी लेना मुश्किल हो गया है। कोर्ट ने आदेश दिया हुआ है कि दिल्ली में सिर्फ ‘ग्रीन पटाखे-फुलझड़ियां’ ही जलाएं और विभिन्न राज्यों के बारे में कोर्ट ने निर्णय लेने का भार राज्यों की सरकारों और प्रशासन पर छोड़ा हुआ है, फिर ग्रीन पटाखे और फुलझड़ियां चलाने से आनंद उतना ही आता है लेकिन प्रदूषण काफी कम होता है। 
सामान्य पटाखों में कई प्रकार के कैमीकल, आदि का इस्तेमाल होता है जो सेहत के लिए हानिकारक है, किन्तु ग्रीन पटाखों में कैमीकल, आदि नहीं के बराबर इस्तेमाल होते हैं और इससे इन्सान, जानवरों आदि की सेहत पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। दिल्ली की तरह विभिन्न राज्यों के बड़े-छोटे शहरों में भी ग्रीन पटाखे ही अनिवार्य कर देने चाहिए ताकि सेहत पर इसका असर कम हो। आओ, हम सभी मिल कर इस बार ग्रीन दीपावली मनाएं।