पूर्व सरकारों की देन है कश्मीर समस्या

आज पाकिस्तान जो भारत के लिए एक अभिशाप की तरह सिर उठाये खड़ा है, यह सब उस समय की सरकार की गलती है जो नेहरू परिवार ने इस देश को दी है। 1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद शिमला में समझौता हुआ। एक कागज़ के बदले में हमने पाकिस्तान के 90 हज़ार कैदियों को छोड़ दिया। यह बात आगे जाकर बहुत बड़ी गलती साबित हुई। कश्मीर समस्या जो हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की देन है, उन्होंने अपनी नीतियों के कारण इस समस्या को और जटिल बना दिया।  1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत ने पाकिस्तान पर दबदबा बना लिया था और पाक अधिकृत कश्मीर पर हमारा कब्ज़ा हो गया था, लेकिन पं. नेहरू की गलत नीतियों के कारण हमने उसे   थाली में परोस कर वापस कर दिया। इस गलती का खमियाज़ा हमारा देश आज तक भुगत रहा है। मैं तो यह बात कहने से गुरेज़ नहीं करूंगा कि उस समय की सरकार ने अपने देश से धोखा किया। 1999 में एक तरफ अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज़ शरीफ लाहौर घोषणा-पत्र तैयार कर रहे थे, दूसरी तरफ कारगिल में जनरल परवेज़ मुशर्रफ घुसपैठियों को लेकर भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा कर बैठा था। अपनी गलतियों और कमज़ोरी की वजह से हमें अपनी ही ज़मीन के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी और सैकड़ों जवानों की कुर्बानी देनी पड़ी।  मुम्बई हमले के बाद भी भारत के पास पाकिस्तान पर हमला करने का अवसर था, लेकिन भारत ने हमला नहीं किया। अब केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जब से भाजपा की सरकार बनी है इसने पाकिस्तान की अकल ठिकाने लगा दी है। मोदी सरकार ने पाकिस्तान में घुस कर जिस तरह सर्जीकल स्ट्राइक की है और पाकिस्तान में छिपे आतंकवादियों को मार गिराया है, उसने पाकिस्तान को कभी न भूलने वाला झटका दिया है।