पंजाब सरकार की ओर बिजली निगम का 3500 करोड़ रुपए कृषि सब्सिडी का बकाया

पटियाला, 28 अक्तूबर (जसपाल सिंह ढिल्लों): पंजाब के राजनीतिक दलों की लोक लुभावन नीतियां जोकि वोट बटोरने के लिए अपनाई गईं का खामियाज़ा सभी पंजाबियों को भुगतना पड़ रहा है। इसी शृंखला में पंजाब की अकाली-भाजपा सरकार ने अपने 1997-2002 के कार्यकाल दौरान किसानों व अन्य लोगों को मुफ्त बिजली का मार्ग अपनाया। हालांकि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार ने पिछले कार्यकाल में इन रियायतों को वापस लेकर कुछ समय बाद पुन: रियायतें जारी कर दीं जोकि आज तक जारी हैं। पंजाब बिजली निगम को इसका खमियाज़ा भुगतना पड़ रहा है। सरकार की ओर इस वित्तीय वर्ष 14972 करोड़ देनदारी है, जो कृषि को जाती मुफ्त बिजली का तथा अन्य वर्गों को दी जाती सब्सिडी की बनती है। इसमें 5200 करोड़ रुपए पिछले वर्ष की सब्सिडी की देनदारी है, जबकि इस वर्ष का बकाया राशि भी 9600 करोड़ बकाया पड़ा है। बेहद उच्च सूत्रों का कहना है कि अक्तूबर 2019 तक 8630 करोड़ रुपए पंजाब सरकार ने बिजली निगम को अदा करना है। अब तक सरकार ने किसानों को देने वाली 3500 करोड़ रुपए की सब्सिडी वाली राशि बिजली निगम को अदा करनी बाकी है। उल्लेखनीय है कि जिस समय कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने पूर्व सरकार मौके किसानों की बिजली माफी जब रद्द की तो उस वित्तीय वर्ष में घाटे में जाता बिजली निगम मुनाफे वाला संस्थान बन गया था। किसानों व अन्य वर्गों को दी जाती सब्सिडी का बोझ आम लोगों पर भी डाला जा रहा है क्योंकि लोग एक दशक बाद बड़े-बड़े बिजली के बिल अदा कर रहे हैं। इसके अलावा कृषि कनैक्शन लेते समय भी कई पिछले समय ली जाती दरों में भी वृद्धि की है। पंजाब की पूर्व अकाली-भाजपा सरकार द्वारा लम्बे समय का निजी थर्मल प्लांटों से किए बिजली समझौतों का भी खामियाज़ा भुगत रहा है। इस समय पूरे देश में खुली बोली में कहीं कम दरों पर बिजली मिल रही है परंतु समझौतों के कारण महंगी दरों पर बिजली निगम को बिजली खरीदनी पड़ रही है।