उद्योगों को आकर्षित करने में कामयाब रहे जयराम ठाकुर

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हिमाचल में निवेश के लिए उद्योगपतियों को आकर्षित करने में कामयाब होते नज़र आ रहे हैं। सरकार ने निवेश के लिए 85 हज़ार करोड़ के निवेश का लक्ष्य निर्धारित किया था। सरकार के दावों और आंकड़ों के अनुसार सरकार निर्धारित लक्ष्य के लिए एमओयू साइन करने में सफल हो गई है। धर्मशाला में 7 और 8 नवम्बर को आयोजित ग्लोबल इनवेस्टर मीट के दौरान होने वाले समझौतों से सरकार लक्ष्य हासिल कर लेगी, लेकिन इसके बाद सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती यह होगी कि निर्धारित समय में हिमाचल की जमीन पर उद्योगों की स्थापना कैसे करनी है। कांग्रेस पहले ही संदेह जता चुकी है कि मंदी के दौर में उद्योगपतियों के द्वारा हिमाचल में करोड़ों का निवेश किसी सपने से कम नहीं है। अब सरकार के लिए चुनौती है कि जितने एमओयू इनवेस्टर मीट के दौरान साइन होते हैं, उतने उद्योगों को हिमाचल में स्थापित भी करना है। देश के आर्थिक हालात और उद्योग जगत में छाई मंदी के कारण विपक्षी नेताओं के साथ अर्थ-शास्त्रियों को भी संदेह है कि कैसे उद्योगपति नए उद्योगों की स्थापना के लिए करोड़ों रुपए का निवेश करने का साहस कर लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि वह सभी उद्योगों को वायदे के अनुसार सभी सुविधाएं प्रदान करेंगे और निर्धारित समय सीमा में हिमाचल के जमीन पर उद्योगों की स्थापना हो जाएगी।  मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के मंत्रियों और अधिकारियों की टीम की मेहनत का ही परिणाम है कि सरकार ग्लोबल इनवेस्टर मीट में निवेश के लिए निर्धारित किए गए 85 हज़ार करोड़ के लक्ष्य को हासिल करने जा रही है। निवेश का लक्ष्य निर्धारित करने के बाद से ही मुख्यमंत्री लगातर देश-विदेश की यात्राएं कर निवेशकों को आमंत्रित करने में जुटे हुए हैं। मनाली और शिमला में आयोजित मिनी इनवेस्टर मीट में करोड़ों के एमओयू साइन किए गये। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कहते हैं कि प्रदेश में औद्योगिक निवेश से जहां विकास को गति मिलेगी, वहीं बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी हासिल होगा। मुख्यमंत्री के अनुसार सरकार ने उद्योगपतियों को आकर्षित करने और हिमाचल में निवेश करने की लिए नई औद्योगिक पॉलिसी बनाई है, जिसमें उद्योगपतियों को हर सुविधा और कई प्रकार के टैक्स में छूट प्रदान की जाएगी। इसी का परिणाम है कि आज प्रदेश में देश के बड़े औद्योगिक घराने निवेश के लिए आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि अभी तक सरकार विभिन्न क्षेत्रों में 566 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर कर चुकी है, जिनमें 81,319 करोड़ रुपये के निवेश की क्षमता है और लगभग डेढ़ लाख लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री के अनुसार उद्योग, पर्यटन, ऊर्जा, स्वास्थ्य और आवास के क्षेत्र में स्थापित होने वाले उद्योगों में हिमाचल प्रदेश के लाखों युवाओं को रोजगार हासिल होगा। अब देखना है कि सरकार किस तरह अपने दावों के अनुसार हिमाचल की जमीन पर उद्योगों की स्थापना करने में सफ ल होती है।
नौकरशाही पर लगाम लगाने की ज़रूरत
प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार बनने के समय से ही सत्ता पर नौकरशाही के हावी होने की चर्चाएं होती रही हैं। समय-समय पर अधिकारियों पर सवाल भी उठे, जिस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कड़ी कार्रवाई करते हुए कहीं तबादले किए, तो कहीं चार्जशीट किया, लेकिन सरकार का नौकरशाही पर नियंत्रण न होने के मामले सामने आते ही रहे। ताज़ा मामला इनवेस्टर मीट से जुड़ा है, जिसमें सरकार के आला अधिकारी सरकार को छोड़ अपना हित साधने लगे थे। अधिकारी मीडिया में मुख्यमंत्री की कम और अपनी पब्लिसिटी अधिक करने लगे जिससे मुख्यमंत्री भी खासा नाराज़ हुए और अफ सरों की क्लास भी लगाई, लेकिन विवाद होने के बाद कार्रवाई करने से बेहतर यह होगा कि भविष्य में मुख्यमंत्री को नौकरशाही पर नियंत्रण रखना होगा जिससे विपक्षी दल कांग्रेस को आरोप लगाने का मौका न मिले तथा अफ सर भी बिना विवाद के कार्य करते रहे हैं। नौकरशाही के हावी होने के विवाद के चलते सरकार की छवि भी खराब होती है। 
हार के बाद खुली कांग्रेस एकता की पोल
अध्यक्ष बनने के बाद के ही कुलदीप सिंह राठौर कांग्रेस में एकता का दावा कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेसी नेताओं के बीच एकजुटता नज़र नहीं आ रही है। धर्मशाला में हुए विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी रहे विजय इंद्र कर्ण ने खुलकर पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा पर आरोप लगाया कि उन्होंने पार्टी के खिलाफ  कार्य किया है। विजय इंद्र के आरोप के जवाब में सुधीर शर्मा ने कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन पार्टी में विरोध के सुर शुरू हो गए हैं। विजय इंद्र के आरोप पर प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने अवश्य यह कहा कि जिन लोगों ने पार्टी के खिलाफ  कार्य किया है, उनके खिलाफ  सख्त कार्रवाई की जाएगी, लेकिन अभी तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं पार्टी के कुछ नेता धर्मशाला और पच्छाद में कांग्रेस प्रत्याशी की हार के लिए पार्टी नेतृत्व यानी कुलदीप राठौर की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहे हैं। इससे साफ  है कि करारी हार के बाद भी कांग्रेस नेतृत्व पार्टी में एकजुटता लाने में कामयाब नहीं हो पा रहा है। हार से सबक लेकर पार्टी नेतृत्व सहित सभी बड़े नेताओं को चाहिए कि एकजुटता के साथ विपक्ष की भूमिका निभाएं, जिससे कि आगामी चुनाव के लिए पार्टी को तैयार कर सकें।