फैसले देखने के लिए काश ज़िंदा होते कारीगर : रजनीकांत

अयोध्या, 9 नवम्बर (इंट) : 21 वर्ष तक रजनीकांत सोमपुरा ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की आस में लाल पत्थरों पर नक्काशी की, लेकिन आज जब अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया तो वह इस दिन को देखने के लिए अब दुनिया में नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के चार महीने पहले वह इस दुनिया से रुखसत कर गए। 53 वर्ष के रजनीकांत अपने ससुर अन्नुभाई सोमपुरा संग काम करने के लिए अयोध्या आए थे और 21 वर्ष तक कारसेवकपुरम में कार्यशाला में उन्होंने काम किया था। अन्नुभाई 1990 से कार्यशाला के पर्यवेक्षक थे, जब मंदिर का काम पहली बार शुरू हुआ था। जुलाई में रजनीकांत की मृत्यु हो गई और उनकी सहायता करने वाले मज़दूर भी गुजरात वापिस चले गए। कारसेवकपुरम में काम करने वाले एक स्थानीय निवासी महेश ने कहा कि रजनीकांत एक कुशल कारीगर थे और वह शानदार नक्काशी करते थे। अब जब काम पूरी गति से शुरू होगा, तो हम सभी को सोमपुरा की याद आएगी, जो राम मंदिर बनाया जाएगा, उसमें उनका योगदान बहुत बड़ा है और हम इसे याद रखेंगे। उन्होंने कहा कि जब 1990 में पत्थर की नक्काशी शुरू हुई थी, तब लगभग 125 नक्काशीकार थे। हाल के वर्षों में यह संख्या घटकर लगभग 50 हो गई।