ऐसे तो आयोग की समयसीमा समाप्त होने पर प्रत्येक सदस्य अपनी मर्जी से शिकायत कर सकेगा

चंडीगढ़, 11 नवम्बर (सुरजीत सिंह सत्ती): सेवामुक्त जस्टिस रणजीत सिंह द्वारा सुखबीर बादल तथा बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के विरुद्ध आयोग की निंदा करने की की शिकायत खारिज करते हुए जस्टिस अमित रावल की बैंच ने कहा कि यदि रणजीत सिंह के वकील की दलीलें मान ली जाएं तो आयोग की समय सीमा समाप्त होने पर कोई भी सदस्य अपनी मर्जी से शिकायत लेकर पहुंच जाएगा। रणजीत सिंह के वकील ए.पी.एस. दयोल ने दलील दी थी कि आयोग समाप्त होने के पश्चात् इसके सदस्य के पास छ: महीने तक शक्तियां रहती हैं, लिहाज़ा कमिश्नज़ आफ इन्कवारी एक्ट के तहत जस्टिस रणजीत सिंह की शिकायत पर सुनवाई की जा सकती है। रणजीत सिंह ने हाईकोर्ट में शिकायत दाखिल करके कहा था कि सुखबीर तथा मजीठिया ने एक प्रैस कांफ्रैंस दौरान आयोग के सदस्य की निंदा की है, लिहाज़ा उनके विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। दूसरी तरफ सुखबीर तथा मजीठिया के वकीलों ने दलीलें पेश की थीं कि यह शिकायत आयोग की समय सीमा समाप्त होने के पश्चात् की गई है जबकि आयोग समाप्त हो चुका था और ऐसे में इसके सदस्य के पास किसी तरह की शक्ति नहीं रही और लिहाज़ा इस शिकायत पर सुनवाई नहीं हो सकती। बैंच ने पहले इस नुक्ते पर बहस करवाई कि शिकायत की सुनवाई हो सकती है या नहीं तो पिछले सप्ताह शिकायत खारिज कर दी गई थी और अब इस मामले में विस्तारपूर्वक फैसला आया है। फैसले में जस्टिस रावल ने कहा कि आयोग समाप्त होने के उपरान्त इसके किसी सदस्य के पास शिकायत करने की सीमा को छ: महीने बढ़ा कर नहीं देखा जा सकता तथा यदि एडवोकेट दयोल की दलीलें मान कर शिकायत करने की समय सीमा बढ़ाई हुई मान ली जाती है तो कोई भी आयोग का सदस्य अपनी मज़र्ी से शिकायत करने पहुंच जायेगा और ऐसा करना गलत कानून स्थापित करने के बराबर होगा।बैंच ने यह भी कहा है कि इस मामले में सुखबीर तथा मजीठिया को नोटिस जारी करने और उनको ज़मानत देने का मतलब यह नहीं है कि अदालत द्वारा संज्ञान ले लिया गया है। इन नुक्तों से शिकायत खारिज करते बैंच ने कहा है कि लिहाज़ा यह शिकायत नहीं सुनी जा सकती है।