गुरु नानक  और विज्ञान

मुझे कई बार पूछा गया-‘आप विज्ञान के व्यक्ति हैं। आप ईश्वर की अवधारणा में कैसे विश्वास कर सकते हैं?’ मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से विपरीत है। एक सच्चा साइंटिस्ट जानता है कि कुछ भी अनियमित नहीं है और यूनिवर्स यानि ब्रह्मांड की जटिलता से पता चलता है कि कोई ऐसा जरूर है, जिसने इस सब को काफी बारीकी से काम करते हुए निर्मित किया है, ठीक -एक मास्टर वेब डिजाइनर की तरह!
गुरु नानक की शिक्षाएं विज्ञान से असहमत नहीं हैं। वास्तव में हम वैज्ञानिक अभी उन अवधारणाओं की खोज कर रहे हैं जो गुरु नानक द्वारा सदियों पहले  सिख गुरुओं ने बहुत समय पहले धूम्रपान, ड्रग्स या शराब से परहेज करने के लिए कहा था। कार्डिक साइंटिस्ट सहकर्मियों ने सालों की कड़ी रिसर्च के बाद पुष्टि की है कि शराब पीने, धूम्रपान करने और दवाओं का सेवन करने से शरीर पर काफी अधिक हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। सिख मान्यताओं को किसी भी रूप में विज्ञान द्वारा अस्वीकृत नहीं किया गया है। वैज्ञानिक तथ्य गुरु नानक की शिक्षाओं का समर्थन करते हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अनुसार, ‘‘ग्रह, सौर मंडल और आकाशगंगाओं की कोई सीमा नहीं है, कोई अंत नहीं है। ‘इक ओंकार’ ने अनेकों दुनियाओं की रचना की है। जैसा कि वह अनुमति देता है, इसलिए वे मौजूद हैं। वह सब देखता है, और सृजन पर विचार करता है।’’ नानक कहते हैं कि ‘‘अरबों क्षेत्र और ग्रह हैं। अरबों चन्द्रमा, सूर्य और तारे हैं।’’उपरोक्त तथ्य इतना अकाट्य सत्य है कि वर्तमान विज्ञान इसकी पुष्टि करता है। गुरु नानक कहते हैं कि भगवान ने इस ब्रह्मांड को अरबों साल पहले बनाया था। इसके अलावा, यह पहली बार नहीं है जब ईश्वर ने इस यूनिवर्स का निर्माण किया है। उन्होंने ऐसा कई बार किया है। जीवन न केवल पृथ्वी पर बल्कि कई अन्य ग्रहों से बाहर निकलता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि अरबों आकाशगंगाएं हैं। प्रत्येक आकाशगंगा में अरबों तारे और लाखों ग्रह हैं जो उन सितारों के चारों ओर घूमते हैं और लाखों चंद्रमा उन ग्रहों के चारों ओर घूमते हैं। हमारी आकाशगंगा, मिल्की वे, में लगभग 200 बिलियन तारे और लाखों ग्रह हैं जिनसे कुछ ज्ञात हैं। ब्रह्मांड में हमारी तरह अरबों आकाशगंगाएं हैं और यह अभी आधुनिक विज्ञान द्वारा महसूस किया जा रहा है, जहां गुरु नानक जी ने इनकी खोज से बहुत पहले इसका उल्लेख किया था। वैज्ञानिक धीरे-धीरे ईश्वर की रचना को जानने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन पूरी सृष्टि इतनी विशाल है कि वर्तमान में यह उससे परे है जिसे हम मनुष्य खोज सकते हैं। वैज्ञानिक ईश्वर की रचना का अध्ययन करते हैं और उसकी रचना के रहस्यों को समझने की कोशिश करते हैं। जितना अधिक वे सीखते हैं, उतना ही वे हैरान होते जाते हैं।