प्रेरणा स्रोत महान शख्सियत को श्रद्धांजलि

महान गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व दुनिया भर में श्रद्धालुओं द्वारा बड़ी श्रद्धा भावना और उत्साह से मनाया जा रहा है। इस पर्व को सिर्फ गुरु नानक नामलेवा संगत ही नहीं मना रही अपितु अलग-अलग धर्मों, समाजों, सम्प्रदायों और समुदायों ने भी इसमें शिरकत करते हुए उस महानायक के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रकटावा किया है। श्री गुरु नानक देव जी का जन्म पंजाब में हुआ था। परन्तु उनकी सोच ब्राह्मांडी थी। वह अपने समय के ऐसे युग पुरुष थे, जिनका बिखेरा उजाला अब तक भी अपनी रौशनी फैलाता नज़र आ रहा है। आगामी समय में भी उनका दर्शन और शख्सियत प्रेरणादायक बनी रहेगी। अपने सात दशकों के जीवन में उन्होंने रब्ब और ब्राह्मांड के हर पहलू को जानने और समझने का प्रयास किया। इसकी अपनी दृष्टि से व्याख्या भी की। इसके साथ-साथ उन्होंने जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों को बहुत गहराई से जानने की कोशिश की, इन विषयों पर उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार क्रांतिकारी थे। उन्होंने अत्याचार के विरोध में आवाज़ उठाई, जो बाद में व्यवहारिक रूप में सिख जीवनशैली का एक हिस्सा बन गई। उन्होंने समय के शासकों की ज्यादतियों को चुनौती दी। उन्होंने न्यायशील प्रेरणा दी। उन्होंने अलग-अलग विचारधाराओं को समझ कर उनके बीच एक संवाद रचाया, जो इनके बीच फैली धुंध को हटाकर उजाला फैलाने के समान था। सामाजिक क्षेत्रों में उन्होंने क्रांतिकारी विचारधारा पेश की। जात-पात के खिलाफ आवाज़ उठाई। मानव जाति को समानता का संकल्प दिया। महिला के मान-सम्मान को बढ़ाने के लिए वाणी रची। धर्म के बारे में उनका दृष्टिकोण आत्मिक विकास वाला कहा जा सकता है। यह आम धारणा है कि गुरु जी के धरती पर आने के समय हर क्षेत्र में खलबली मची हुई थी। सोच में मलीनता पैदा हो चुकी थी। कुफर का बोलबाला था। ऊंच-नीच की भावनाओं ने मानव जीवन को बेहद पीड़ादायक बना दिया था। गुरु जी ने खुला और संतुलित जीवन जीने का संदेश दिया। निरवैर और निर्माण होने की बात कही। समाज के प्रति गुरु जी के विचारों और योगदान को अलग-अलग समय में सूझवान मनुष्यों ने स्वीकार किया है। उन्होंने मुख्य रूप में गुरु साहिब की समूची शख्सियत को प्रेरणा-स्रोत माना है। इन विद्वानों ने उनकी शख्सियत को एक श्रेष्ठतम मनुष्य के उदाहरण के तौर पर पेश किया है, जो सिख समाज के लिए बड़े गर्व की बात है। नि:संदेह उनके द्वारा दर्शाई जीवनशैली एक उत्तम मनुष्य और उत्तम समाज का संकल्प था।  परन्तु आज सोचने वाली बात यह है कि इस महान गुरु को याद करते हुए क्या समाज में पुन: वैसे ही दृश्य बने दिखाई नहीं देते, जो गुरु साहिब के समय थे? आज भी झूठ, अन्याय और आपाधापी का दौर जारी है। आज भी हमारा समाज गुरु जी द्वारा बताए संकल्पों से कहीं पीछे रह गया प्रतीत होता है। इस समय तो उस महान शख्सियत को इसी तरह श्रद्धांजलि दी जा सकती है कि उनके बताए दिशा-निर्देशों के अनुसार मानव समाज को चलाया जा सके। उनके द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं को मनों में बसाया जाए, ताकि मानव समाज और विकास कर सके, उस उत्तम भावना को अपना सके जो गुरु जी के संदेशों में अंकित है। हम इस ऐतिहासिक दिवस पर गुरु जी के उपदेशों के प्रति अपना शीश झुकाते हैं, जो आगामी समय में भी समाज के लिए प्रेरणा-स्रोत बने रहेंगे।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द