प्रकाश पर्व की प्रेरणा

जिस तरह भारत और दुनिया भर में श्री गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व बेहद श्रद्धा से मनाया गया है और जिस तरह दुनिया भर के अलग-अलग देशों के नेताओं द्वारा महान गुरु को श्रद्धांजलि दी गई है, उससे गुरु नानक नाम लेवा श्रद्धालुओं का जज्बा दोगुना हुआ है। न सिर्फ अलग-अलग स्थानों पर दीवान ही सजाये गये, अपितु बड़ी भावना से नगर कीर्तन भी सजाये गये। 550 वर्ष बीतने के बाद भी ऐसी भावना पैदा होने का अर्थ यही है कि आज भी गुरु साहिब की शिक्षाएं मानव जाति के लिए बेहद प्रेरणादायक बनी हुई हैं। उस समय अपनी बाणी द्वारा जो विचार उन्होंने प्रकट किये, आज भी वह सार्थक दिखाई देते हैं। 
भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने सुल्तानपुर लोधी में श्री गुरु नानक देव जी को श्रद्धांजलि भेंट करते हुए उनके उज्जवल विचारों को अपनाने की प्रेरणा दी। राष्ट्रपति ने विशेष तौर पर गुरु जी की मानव समानता, भाईचारक सांझ, कर्म-कांडों से ऊपर उठने, जात-पात के भेदभाव को खत्म करने तथा नैतिक मूल्यों की बात की। एक अच्छे समाज के लिए ऐसे मूल्यों का धारणी होना बेहद आवश्यक है, जिसका पालन प्रत्येक मनुष्य को करना चाहिए। राष्ट्रपति ने विशेष तौर पर गुरु जी द्वारा व्यवहारिक जीवन जीने की मिसाल दी और यह भी कहा कि श्रम करना, नाम जपना और बांट कर छकना मनुष्य का परम धर्म होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जिस निडरता और स्पष्टता से गुरु जी अपने जीवन काल में विचरे, वह स्वयं में एक मिसाल है। इसी मार्ग पर चल कर गुरु साहिबान ने बेहतर जीवनशैली सिखाई और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने निर्भीक होने की एक मिसाल कायम की। सिख समाज की आने वाली पीढ़ियों ने बड़ी सीमा तक इन मूल्यों को अपनाने का प्रयास किया, खास तौर पर समय के शासकों के जुल्म और बेरहमी के विरुद्ध वह डट कर खड़े हुए। ऐसी परम्परा पर गर्व किया जा सकता है। इसकी मिसाल है, गुरु साहिबान के बाद का वह कुर्बानियों भरा इतिहास जो उनके पैरोकारों ने रचा। वह स्वयं में गर्व करने वाली बात है। आज ऐसी भावना को प्रकट करते हुए अपने मनों में गहराई से झांकने की ज़रूरत महसूस होती है। आज गुरु नानक नाम लेवा इन मूल्यों को भुलाते जा रहे हैं। आज गुरुओं के बड़ी संख्या में  श्रद्धालु जात-पात के चक्कर में फंसे नज़र आ रहे हैं। वहमों-भ्रमों और कर्म-कांडों ने एक तरह से उनको अपने आंचल में ले लिया प्रतीत होता है, परन्तु ऐसे ऐतिहासिक दिन एक प्रेरणा-स्रोत बनने चाहिए। 
पाकिस्तान की ओर से श्री करतारपुर साहिब का गलियारा खोल कर सिख धर्म को जो विशेष उपहार दिया गया है, उसने गुरु साहिब के श्रद्धालुओं के उत्साह में और भी वृद्धि की है और इस विश्वास को मज़बूत किया है कि जिस भावना से वह वहां दर्शन करने जाएंगे, वह भावना उनके चरित्र का एक अहम हिस्सा बनेगी। वह भावना उनमें एक ऐसी रोशनी पैदा करने में सक्षम होगी, जो हमेशा उनको अच्छे रास्ते पर ले जाने में सहायक हो सकेगी। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द