अत्यधिक खर्राटे हो सकते हैं जानलेवा

खासतौर पर उन लोगों के लिए जिन्हें हृदय व्याधि हो या रक्तचाप की समस्या हो, उनके लिए खर्राटे विशेष रूप से हानिकारक हो सकते है। वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि सुबह पांच और छह बजे के बीच नींद की अवस्था में मरने वालों की संख्या अधिक है। इस दौरान मौत का कारण या तो खर्राटे हैं या फिर सांस की अन्य समस्याएं जिसके कारण रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा में काफी कमी आ जाती है।
खर्राटों से स्वास्थ्य को भयंकर खतरा हो सकता है। इससे न केवल शारीरिक क्षति हो सकती है बल्कि इससे असहनीय शारीरिक थकान भी होती है जिसके परिणामस्वरूप काम करते समय दुर्घटना भी संभावित है,। ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो इस सच को नकारते हैं कि वे सोते हुए खर्राटे भरते हैं। सच यह है कि थोड़ी बहुत मात्रा में हर व्यक्ति खर्राटे भरता है क्योंकि सोते समय गले के पीछे के ऊपरी वायुमार्ग से जिह्वा सहित बहुत सारी मांसपेशियों से जुड़ी हुई नाली तनावरहित होती है इसलिए वायुमार्ग सांस के अंदर जाने पर खुलता है।
ज्यादा खर्राटों से गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कई मामलों में तो ऊपरी वायुमार्ग पूरी तरह काम करना बंद कर सकता है जिससे वायु का प्रवाह पूरी तरह रूक जाता है। ऐसी स्थिति में सोया हुआ व्यक्ति अगली सांस के लिए संघर्ष करता है। पसलियों और डायफ्राम के कारण फेफड़ों में वायु का दबाव बदल जाता है जिससे असामान्य परिवर्तन होते हैं। हृदय, छाती और फेफड़ों में रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिससे हृदय के काम करने की गति धीमी हो जाती है।
स्वस्थ लोगों में दम घुटने की अवधि होती है लगभग पंद्रह सेकण्ड। इस बीच सांस को नियंत्रित करने वाले तंतु दिमाग के अन्य हिस्सों को सचेत करते हैं और सोने वाला व्यक्ति नींद से जाग जाता है। कुछ लोग कम खर्राटे भरते हैं, लेकिन रक्त में जैसे ही ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर सामान्य हो जाती है तो वे पूर्ववत सोते रहते हैं जिसमें दस सेकंड का समय लगता है। पूरी प्रक्रि या में आरंभ से लेकर अंत तक केवल आधे मिनट का समय लगता है। 
* धूम्रपान और शराब की मात्रा में कमी करें और सोने से पहले थोड़ा व्यायाम करें।
* सोने से पहले बिना अपने आप को थकाएं, अगर थोड़ी देर तक आप तेज गति से चलें तो इससे शरीर द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता बढ़ेगी और आपको अच्छी नींद आएगी।
* खर्राटों से 60 डेसीबल्स तक की आवाज निकल सकती है जो सड़क को ड्रिल करने वाली मशीन से भी ज्यादा है और जिससे व्यक्ति पागल तक हो सकता है।

(स्वास्थ्य दर्पण)
—जे.के. शास्त्री