व्यायाम कार्यक्रम में आनन्द लीजिये

खाना, घूमना, हंसी-ठठ्ठा करना, खेलना व संगीत सुनना जितना मजेदार काम है, कसरत करना उतना ही बोरियत भरा पर शरीर के गठाव के लिए, बड़ी उम्र में होने वाली हड्डियों की टूट-फूट के बचाव के लिए, मांसपेशियों को लचीला बनाये रखने के लिए और दिल के रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप से बचाव के लिए व्यायाम करना अनिवार्य ही मान लिया गया है। इन बीमारियों का इलाज करने वाले डॉक्टर भी दवा-पथ्य व परहेज के साथ-साथ व्यायाम या सैर को भी दवा में ही शामिल करते हैं। आजकल चूंकि भौतिक सुख-सुविधाएं ज्यादा हो गई हैं सभी काम बैठे-बैठे ही मशीनों का बटन दबा देने मात्र से संपादित होने लगे हैं अत: शारीरिक श्रम खत्म ही हो गया है। वक्त की कमी व ज्यादा से ज्यादा मानसिक दबाव व तनावों के चलते व्यक्ति अपनी पूरी दिनचर्या में खुद भी मशीन ही बन गया है। शारीरिक सक्रियता का या पैदल कहीं भी जाने का न तो उसके पास समय है न ही धैर्य। अत: इसका विकल्प उसने खोज निकाला है व्यायाम के रूप में पर व्यायाम आधुनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा स्वीकारने के बाद भी बड़ा बोर महसूस होता है।  इसी तरह सुबह सवेरे की सैर भी दुविधा पैदा करती है जब बिस्तर की गर्माहट व मीठी नींद त्याग कर उठना पड़ता है हालांकि वे लोग जो एक बार नींद का लोभ छोड़ कर सुबह की सैर का आनन्द ले लेते हैं वे फिर नींद के मोहजाल में नहीं फंसते पर यह एक बार का यत्न ही बड़ा कठिन है। वैसे यदि घर पर ही व्यायाम करने का नियम बना लिया जाये और व्यायाम को खेलकूद की तरह या तो मस्ती का साधन बना लिया जाये या फिर सामूहिक रूप से किया जाये तो इस हेतु खर्च किये पन्द्रह बीस मिनट पूरे दिन को उत्फुल्लता व उमंग से तो भरेंगे ही, पाचन भी ठीक रखेंगे। शरीर की चयापचय दर भी बढ़ायेंगे जिसके कारण भोजन से प्राप्त कैलोरी भस्म होती जायेगी व शरीर में सुडौलता, गठाव व आकर्षण बढ़ेगा। व्यायाम को रोचक बनाने के लिए तथा इसको मजबूरी या बोझ न मान आनन्ददायक क्रि या बनाने  के लिए कुछ उपाय आजमाये जा सकते हैं- व्यायाम को भी संगीत या टी.वी. या किसी खेल से जोड़ दें तो समस्या बड़ी सरलता से हल हो जायेगी। काम भी हो जायेगा, मन भी लगा रहेगा व मन्तव्य भी सिद्ध हो जायेगा। 
आनन्द और स्फूर्ति का अनुभव करने के लिए व्यायाम करने का मन बना लेना ज्यादा सकारात्मक सोच है। व्यायाम का उद्देश्य वजन घटाना हो या न हो-वक्त के साथ व नियमित व्यायाम करने पर जब शरीर की समस्त चेष्टाएं सक्रि य होंगी, मांसपेशियां लचीली रहेंगी तो वजन घटेगा ही, चर्बी हटेगी व शरीर में सुडौलता आयेगी ही पर यदि यह सोचा जाये कि पन्द्रह दिन के व्यायाम से ही वजन कम हो जायेगा तो भूल है।  
नियमित व्यायाम करने पर खान-पान में भी कटौती करने की जरूरत नहीं है बल्कि पाचन दुरुस्त होने पर भूख भी खुल कर लगेगी व ज्यादा खाया जायेगा, शरीर स्वस्थ व सुन्दर बनेगा तथा सभी पोषक तत्व भरपूर मिलेंगे। अपनी पसन्द का व्यायाम चुनना भी व्यायाम के लिए मन बनाना है। रस्सी कूदना, सीढ़ियां चढ़ना उतरना, पैदल चलना, बाजार या किसी के भी घर पैदल जाना, वाहन पर चढ़ना उतरना कई ऐसे उपाय हैं जो चलने फिरने को उकसाते हैं व पूरे बदन व टोनिंग करते हैं।

 (स्वास्थ्य दर्पण)
—मंजु