पराली का हल निकालने हेतु जारी मुआवजा राशि विवादों में घिरी

फाज़िल्का, 18 नवम्बर (दविंदर पाल सिंह) : देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के कारण पंजाब सरकार द्वारा गैर बासमती धान बीजने वाले किसानों को 2500 रुपए प्रति एकड़ पराली न जलोने के रूप में दिया जा रहा था। सहकारी विभाग द्वारा यह राशि किसानों के खातों में डाली जानी थी, इस काम के लिए ए.आर. व डी.आर. अपने स्टाफ को ट्रेनिंग दे रहे है। सरकार की हिदायतों अनुसार 5 एकड़ से कम खेती वाले किसान जिन्होंने गैर बासमती धान की खेती की है तथा उन्होंने धान की पराली को आग नहीं लगाई, वह यह राशि लेने के योग्य पाए गए हैं। सहकारी विभाग द्वारा हर सोसायटी को पासवर्ड व आईडी दी जानी थी, पर यह प्रक्रिया अभी पूरी ही नहीं की गई कि अधिकारियों के गैर-जिम्मेदाराना  रवैये के कारण पासवर्ड व आईडी निजी कैफे व कम्प्यूटर सैंटर चलाने वालों तक पहुंच गए। बस फिर क्या था, रेहड़ी वाले, रिक्शा वाले, मजूदर व हर तरह के बिना ज़मीन वाले लोग अलग-अलग बैंकों की कापियां व आधार कार्ड लेकर कम्प्यूटर सैंटरों में पहुंच गए। किसी से 100 रुपए, किसी से 400 व किसी से और ज्यादा पैसे लेकर उनके गलत विवरण ऑनलाइन कर दिए गए। एक ही दिन में करोड़ों रुपए की राशि बिना जमीन वाले लोगों के खाते में पहुंच गई। योग्य लाभार्थी देखते ही रह गए। कई परिवारों के खातों में 30 हज़ार से लेकर 50 से 60 हज़ार रुपए की राशि चली गई। इस पूरे मामले का पर्दा उठाने के लिए पंजाब सरकार का कोई भी अधिकारी खुलकर बात करने को तैयार नहीं है कि पैसे कहां से आए और कैसे बांटे गए व कितने बाकी है। पुलिस प्रशासन द्वारा कुछ कम्प्यूटर सैंटरों का सामान उठाया गया, पर बड़ी कार्रवाई अब तक नज़र नहीं आई है। गलत हाथों में करोड़ों रुपए चले जाने पंजाब सरकार के लिए बड़ी सिरदर्दी बन गया है। डायरेक्टर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड काहन सिंह पन्नू से फोन पर बार-बार बातचीत करने की कोशिश की गई पर उनका फोन बंद होने के कारण  बातचीत नहीं हो सकी। लाभार्थी किसानों की राशि अन्य हाथों में जाने का भारी रोष है।