शरद ऋतु का गर्म सत्र

जिस तरह की उम्मीद की ही जा रही थी कि संसद का शुरू हुआ शरद ऋतु का सत्र हंगामों से भरपूर होगा, उसी तरह हो रहा है क्योंकि गत समय के दौरान कुछ ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे उभरे हैं, जिनके जवाब विपक्ष ने सरकार से मांगने ही थे। इसलिए सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा के स्पीकर द्वारा जो सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, उसमें भी कई बातें उभरी थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कहा है कि संसद में उठने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत बहस करवाने के लिए सरकार तैयार है और प्रत्येक सदस्य को इसमें अपना ठोस योगदान डालना चाहिए। 
भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की दूसरी बार बनी सरकार का यह दूसरा संसदीय सत्र है। पहले सत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर गर्मागर्म और बड़ी बहस के बाद कुछ कानून पास किए गए थे। इनमें तीन तलाक का मुद्दा तथा जम्मू-कश्मीर राज्य को दो हिस्सों में बांट कर केन्द्रीय शासित राज्यों में बदलना भी शामिल था। इस बार भी कुछ महत्वपूर्ण बिलों, जिनमें नागरिकता संशोधन बिल, जिसके बारे में गत लम्बे समय से चर्चा और विवाद बना रहा है, को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार पास करवाने का प्रयास करेगी। अपने पिछले कार्यकाल में सरकार ने यह बिल पेश किया था, जो पास नहीं हो सका था। यह बिल 1955 के नागरिकता कानून में संशोधन करने के लिए तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों जिनमें अफगानिस्तान, बंगलादेश और पाकिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यकों, हिन्दू, सिख, बौद्धी, जैन, पारसी और इसाईयों को भारतीय नागरिकता देने के लिए शर्तों को नरम करना है। पहली शर्तों में किसी ऐसे शरणार्थी को भारत में 11 वर्ष तक रहने के बाद ही नागरिकता दी जाती थी, परन्तु अब यह समय 6 वर्ष करने की व्यवस्था रखी गई है। पूर्व सरकार के समय विपक्षी पार्टियों द्वारा कड़ा रुख अपनाने के कारण यह बिल अधर में ही लटक गया था, परन्तु इस बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने इसको अपना प्राथमिक एजेंडा बनाया हुआ है। इसके साथ-साथ इस बार राज्यसभा का 250वां सत्र होने के कारण इसके उच्च सदन के संबंध में भी विस्तृत बातचीत होगी और इसके महत्व को संविधान के अनुसार बनाये रखने के लिए भी लगभग सभी पार्टियों द्वारा प्रयास किए जाने की सम्भावना है। परन्तु जम्मू-कश्मीर के हालात के बारे में दोनों ही सदनों में तीखी बहस होने की सम्भावना और भी बढ़ गई है। 
पहले ही दिन श्रीनगर से चुने गए लोकसभा के सदस्य फारूख अब्दुल्ला की नज़रबंदी को लेकर विपक्षी पार्टियों ने सरकार को निशाने पर लिया था। इसके साथ-साथ देश की आर्थिकता की रफ्तार में कमी आने और बेरोज़गारी का बढ़ना भी ऐसे मुद्दे हैं, जिनके बारे में सरकार को बचाव की नीति धारण करनी पड़ सकती है। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी शिवसेना के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने के सवाल पर पैदा हुई रुकावट के कारण भी भाजपा सरकार की स्थिति खराब होती नज़र आ रही है, क्योंकि शिवसेना के सदस्य पहले से ही दोनों सदनों में ऊंचे सुर में बोलने वाले रहे हैं। आगामी दिनों में यह शरद ऋतु का सत्र अधिक गर्म होने की स्थिति स्पष्ट नज़र आ रही है। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द