लोकसभा में गूंजा प्रदूषण का मुद्दा


नई दिल्ली, 19 नवम्बर (वार्ता, उपमा डागा पारथ): लोकसभा ने दिल्ली में प्रदूषण की समस्या तथा वैश्विक स्तर जलवायु परिवर्तन को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे मानवजाति तथा धरती के अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि इस पर नज़र रखने के लिए संसद की स्थाई समिति गठित की जानी चाहिए और उसके काम की हर सत्र में समीक्षा हो। लोकसभा में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मंगलवार को नियम 193 के तहत ‘वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन तथा वायु प्रदूषण जैसे मुद्दे हमारे अस्तित्व का संकट बन गये हैं। यह सत्ता या विपक्ष या किसी दल अथवा देश से जुड़ा मुद्दा नहीं रह गया है बल्कि धरती के अस्तित्व का सवाल बन गया है और हमारे लिए साफ हवा में सांस लेना कठिन हो गया है इसलिए इसके लिए संसद को पहल करनी चाहिए और स्थायी समिति का गठन कर इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समिति ने जलवायु परिवर्तन की समस्या अथवा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जो काम किया है उसकी हर सत्र में समीक्षा हो। इससे हम अपनी आने वाली पीढ़ी को जीवन के लिए जरूरी साफ हवा और पानी दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए पराली को ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जाता है। पराली के कारण यह शहर हर साल इसी दौरान प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि किसान को पराली नहीं जलानी पड़े इसके लिए सरकार को उन्हें आर्थिक मदद करनी चाहिए। 
बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने दूसरे देशों में प्रदूषण के विरुद्ध किये गये प्रयासों से सीख लेने का आह्वान करते हुए कहा कि चीन में सर्दियों में गर्मी के लिए उपयोग में आने वाले उपकरणों से निकलने वाली गैस के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए ऐसे सभी उपकरणों पर रोक लगा दी। भाजपा के प्रवेश वर्मा ने प्रदूषण के मामले में दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री पर जोरदार हमला किया। उन्होंने दिल्ली की मौजूदा सरकार पर आरोप लगाया कि उसके पास दिल्ली को लेकर कोई विजन नहीं है। वे दूसरों पर दोषारोपण में ही व्यस्त हैं। कभी प्रधानमंत्री और कभी उपराज्यपाल पर काम नहीं करने देने का आरोप लगाने वाले मुख्यमंत्री 600 करोड़ रुपए के बजट से प्रचार करने में व्यस्त हैं। द्रविड़ मुनेत्र कषगम की श्रीमती टी सुमति ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि विश्व के 25 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में भारत के 9 शहर अग्रणी हैं। तृणमूल कांग्रेस की डॉ. काकोली घोष दस्तीदार ने मास्क पहन कर भाषण की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि जब दुनिया के दस सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में नौ भारत के शहर हैं तो क्या सरकार को स्वच्छ भारत मिशन की तर्ज पर स्वच्छ हवा मिशन नहीं चलाना चाहिए।
शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की शुरुआत औद्योगीकरण से हुई है। इसका परिणाम कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि के रूप में हो रही है। बहुजन समाज पार्टी के दानिश अली ने प्रदूषण तथा जलवायु परिवर्तन को लेकर एकीकृत नीति और दीर्घकालीय योजना बनाने की वकालत की है। भाजपा के मनोज तिवारी ने कहा कि प्रदूषण राज्य का विषय है और अगर कोई राज्य इस पर नियंत्रण करने के मामले में जानबूझकर बहाना बनाये तो ऐसे मामले में सख्ती से निपटने का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से निगमों को जो पैसा मिलना चाहिए था वह नहीं दिया गया है और इसे जानबूझकर रोका गया है। 
वहीं संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भी लोकसभा की बैठक हंगामे के साथ शुरू हुई और कांग्रेस नेताओं सोनिया, राहुल गांधी से एसपीजी की सुरक्षा वापस लिये जाने के मुद्दे पर कांग्रेस, द्रमुक के सदस्यों ने पूरे प्रश्नकाल में आसन के समीप नारेबाजी की। शून्यकाल में इन दलों ने इस विषय पर सदन से वाकआउट किया। शून्यकाल में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जब इस विषय को उठाने का प्रयास किया तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कांग्रेस सदस्य पहले ही इस विषय को नियम-प्रक्रिया के तहत उठा चुके हैं। कांग्रेस और द्रमुक के सदस्यों ने ‘बदले की राजनीति बंद करो’, ‘एसपीजी के साथ राजनीति करना बंद करो’ और ‘वी वांट जस्टिस’ जैसे नारे लगाए। बिरला ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर जाने की अपील करते हुए कहा कि किसानों के विषय पर चर्चा हो रही है और ऐसे में सदन में हंगामा अच्छी परम्परा नहीं है।   हालांकि विपक्षी सदस्य नारेबाज़ी करते रहे। 
उधर विरोध प्रदर्शन कर रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई और जम्मू कश्मीर में लगातार पाबंदियों को लेकर विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण को राज्यसभा की बैठक स्थगित कर दी गई। सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए। इसी बीच वाम, कांग्रेस और अन्य दलों के सदस्यों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि का विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर कल हुई पुलिस की कथित कार्रवाई और पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से वहां लगातार जारी पाबंदियों का मुद्दा उठाने का प्रयास किया।