डीटीओ के पद दोबारा बहाल करने की योजना चर्चा तक सीमित

जालन्धर, 23 नवम्बर (शिव शर्मा) : दो साल पहले राज्य  में समाप्त कर किए गए डीटीओ के पद दोबारा बहाल करने की योजना चर्चा तक ही सीमित रह गई है, क्योंकि इस तरह की योजना की चर्चा शुरू हो गई थी पर ज्यादा न होने से अब यह पद दोबारा बहाल होने की संभावना नज़र नहीं आ रही है। इस की दोबारा बहाली की चर्चा इस कारण भी हुई थी कि इस से राजस्व पर भी असर पड़ रहा है। डीटीओ पद खत्म होने के बाद इस संबंधी सारे काम आरटीए कार्यालयों व एसडीएम के हवाले कर दिए गए थे पर उस के बाद भी अभी भी ड्राईविंग लाइसैंस  हो या फिर गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन का काम हो, लोगों को आज भी काम करवाने के लिए लम्बे समय का इंतजार करना पड़ रहा है अब तो दूसरे ज़िलों में  काम करवाने जाना पड़ रहा है। लाइसैंस तैयार करने के अलावा और दस्तावेज तैयार करने के लिए लोगों द्वारा भारी फीसों की अदायगी होने के बावजूद लोगों की पेरशानी के मामले किसी से छुपे हुए नहीं हैं। पंजाब में 1968 में ड्राईविंग लाइसैंस, गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन व और कामों के लिए डीटीओ के पद अलग तौर पर बनाए गए थे जबकि इस से पहले इस तरह के सारे काम डिप्टी कमिश्नर कार्यालयों में किए जाते थे। दो साल पहले पंजाब में हरियाणा की दर्ज पर डीटीओ के पद खत्म कर दिए गए थे क्योंकि वहां सारे काम एसडीएम कार्यालयों द्वारा किए जा रहे थे। दो साल पहले आरटीए कार्यालयों को चाहे डीटीओ के काम देखने के अधिकार मिल गए थे पर उलटा आरटीए के पाए अब ज्यादा काम हो गए है। एक आरटीए कार्यालय के पास दो से तीन ज़िलों का काम है। जिस कारण आरटीओ के पास अपने ज़िलों में पूरा काम देखने में पेरशानी तो होती ही है उलटा अब काम करवाने के लिए लोगों का समय ज्यादा लग रहा है। काम करवाने के लिए जहां लोगों को पठानकोट से गुरदासपुर जाना पड़ता है व इसी तरह कमर्शियल गाड़ियों का काम करवाने के लिए नंगल के लोगों को कई किलोमीटर दूर मोहाली जाना पड़ता है, अबोहर के लोगों को फिरोज़पुर, मानसा के लोगों को बठिंडा, मोगा व मुक्तसर के लोगों को कई किलोमीटर दूर फरीदकोट जाना पड़ता है। डीटीओ पद इस करके भी खत्म हुए थे कि इससे लोगों की परेशानी बढ़ती है पर अब ड्राईविंग ट्रैक सहित और कामों के लिए होती परेशानी का मामला कई बार तो विधायक भी उठा चुके हैं।