7वीं दक्षिणी एशियाई इतिहास कांफ्रैंस सम्पन्न

पटियाला, 24 नवम्बर (परगट सिंह) : पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के इतिहास विभाग की तरफ से करवाई गई सातवीं दक्षिणी एशियाई इतिहास कांफ्रैंस सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गई। श्री गुरु नानक साहिब के 550वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य पर दक्षिणी एशिया के देशों में व्यापार, व्यापारिक मार्गों और यात्राओं के विषयों पर करवाई इस कांफ्रैंस का विदाई भाषण यूनिवर्सिटी आफ दिल्ली के प्रोफ़ैसर डा. अमर फारूकी ने दिया। श्री गुरु नानक साहिब के सर्व सांझेदारी वाले फलसफे से बात शुरू करते हुए उन्होंने विस्तार में बताया कि कैसे व्यापारिक मार्ग किसी भी क्षेत्र की स्थितियों को प्रभावित करते हैं। ऐतिहासिक तथ्यों के हवाले के साथ उन्होंने बताया कि एशिया के कौन से मार्ग इस के विकास में किस तरह सहायक हुए हैं। विदाई सैशन में मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल हुए अतिरिक्त डीन खोज पंजाबी यूनिवर्सिटी डा. लखविन्दर गिल ने कहा कि व्यापार के गुरमति और ज्ञान के स्रोतों दरमियान गहरा सम्बन्ध है। उन्होंने कहा कि भारत तक पहुंचने वाली पश्चिमी मूल की व्यापारिक एजेंसियों को इस बात का इल्म था कि एशियाई क्षेत्र में ज्ञान उत्पन्न हो रहा है जिस का प्रयोग पश्चिम के विकास के लिए भी की जा सकती है। विशेष मेहमान के तौर पर पहुंचे पंजाबी अकादमी नई दिल्ली के सचिव गुरभेज सिंह गुराया ने कहा कि श्री गुरु नानक साहिब ने हमें गोष्टि रचाने और निरंतर संवाद करने की शिक्षा दी है, जिसको बरकरार रखना ही गुरू साहिब प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। इतिहास विभाग के प्रमुख और महाराना प्रताप चेयर के इंचार्ज डा. इदरिस मुहम्मद ने रस्मिया रूप में धन्यवादी शब्द बोले। इस विदाई सैशन में श्रीलंका और इंडोनेसिया से आए डेलिगेट्स ने कांफ्रैंस बारे अपने विचार सांझे करते हुए इसकी प्रशंसा की और इस की लगातारता बनाई रखने का सुझाव दिया।