सर्दियों में कैसा हो खानपान ?

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सभी ऋ तुओं में जाड़े की ऋ तु को सबसे अच्छा माना जाता है। जाड़े की ऋ तु में हमारी पाचन क्रि या तेज हो जाती है और हमारा खाया अन्न ठीक से पच जाता है लेकिन कुछ लोग स्वाद के वशीभूत हो जाड़े में मौसम के प्रतिकूल चीजें खा लेते हैं जिसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और उन्हें कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती है। 
जाड़े में खान-पान का सही चुनाव करना भी एक समस्या है। हर व्यक्ति मौसम के अनुकूल खान-पान का चयन नहीं कर पाता। सही खान-पान का चुनाव करने के लिए नीचे कुछ सुझाव दिये जा रहे हैं :-
* जाड़े के मौसम में पाचन क्रि या तेज हो जाती है जिसके कारण मीठी और गरिष्ठ चीजों का पाचन ठीक से हो जाता है। दुबले-पतले लोग इस मौसम में पौष्टिक और संतुलित आहार भरपूर मात्रा में ले  कर अपना शरीर सुगठित बना सकते हैं।
* इस ऋ तु में गाजर खूब खानी चाहिए। गाजर में विटामिन ‘ए’ प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है जो शरीर में सर्दी रोधक क्षमता विकसित करता है। 
* सर्दी के कारण शरीर में रूखापन बढ़ने लगता है। इससे बचने के लिए घी, मक्खन, तेल और वसायुक्त पदार्थों का इस ऋ तु में सेवन करना चाहिए।  पूरे वर्ष एक ही प्रकार का अन्न  सेवन नहीं करना चाहिए। मक्का, चने व बाजरा में प्रोटीन, कार्बोहाइडे्रट एवं विटामिन गेहूं की तुलना में ज्यादा पाए जाते हैं, इसलिए सर्दियों में इनका सेवन शरीर के लिए लाभदायक होता है।  सर्दियों में गन्ने का रस व गुड़ तथा गुड़ से बने पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए। ये शरीर की मांसपेशियों  के निर्माण में मदद करते हैं तथा शरीर में कार्बोहाइडे्रट की मात्रा घट नहीं पाती।
* हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना शरीर के लिए लाभदायक होता है। इनसे शरीर को कैल्शियम, लौह तत्व और विटामिन प्राप्त होते हैं।
* जाड़े में मौसमी फलों-केला, मूली, टमाटर व अमरूद आदि का सेवन करना चाहिए। टमाटर में विटामिन ए व सी, केला में स्टार्च व विटामिन तथा अमरूद में विटामिन सी एवं रिबोफ्लेबिन, कैल्शियम और खनिज तत्व पाए जाते हैं।
* सूखे मेवों का जाड़े में अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार इस्तेमाल करना चाहिए। महीने में 4-5 बार खाना भी हितकर है। छोटे बच्चों को बादाम का बारीक चूर्ण शहद के साथ दिया जा सकता है। इससे उनका सर्दी में होने वाले रोगों से बचाच होगा।
यदि खान-पान में उपरोक्त सुझावों का पालन किया जाये तो जाड़े में होने वाले रोगों से बचाव होगा और शरीर पुष्ट व सुगठित भी होगा।

(स्वास्थ्य दर्पण)
—एम. पहाड़ी