पराली संकट के समाधान के लिए सरकार बना रही दीर्घकालीन नीति 

नई दिल्ली, 29 नवम्बर (भाषा) : सरकार ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में पराली जलाने की समस्या के स्थाई समाधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है। कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री परशोत्तम रुपाला ने शुक्रवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के एवज में हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। पराली प्रबंधन में क्षतिपूर्ति के प्रावधानों से जुड़े एक पूरक प्रश्न के जवाब में रुपाला ने कहा कि पराली के उपयोग के लिए 1151 करोड़ रुपए दो साल में जारी करने की योजना पूरी हो चुकी है। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए हाल ही में आईसीएआर के सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई जिसमें दीर्घकालिक कार्ययोजना बनाने के लिये एक समिति के गठन का फैसला किया गया है। पराली जलाने से मिट्टी को होने वाले नुकसान के कारण ज़मीन की उत्पादन क्षमता कम होने की जानकारी देते हुए रुपाला ने बताया कि यह अनुमान लगाया गया है कि एक टन धान की पराली में लगभग 5.5 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 2.3 किग्रा फॉस्फोरस पेंटाक्साइड, 25 कि.ग्रा. पोटेशियम आक्साइड, 1.2 कि.ग्रा. सल्फर, 50 से 70 प्रतिशत सूक्ष्म पोषक तत्व और 400 कि.ग्रा.कार्बन होता है। ये तत्व पराली जलाने के कारण नष्ट हो जाते हैं।