" एड्स दिवस पर विशेष " विश्व भर में एच.आई.वी. व एड्स से 37 मिलियन से अधिक लोग पीड़ित

पटियाला, 30 नवम्बर (मनदीप सिंह खरोड़): विश्व भर में एड्स की रोकथाम करने व इससे पीड़ित व्यक्तियों प्रति सत्कार पैदा करने के लिए विश्व भर में हर वर्ष 1 दिसम्बर 1988 से एड्स दिवस मनाया जाता है। इस ओर देश व विदेशों में इतना कुछ होने के बावजूद भी देश व विदेश में एच.आई.वी. व एड्स से पीड़ित व्यक्तियों में वृद्धि हो रही है। विश्व संगठन अनुसार वर्ष 2018 में 37.9 मिलियन लोग एच.आई.वी. व एड्स से पीड़ित थे जबकि भारत में मौजूदा समय दौरान भारत में लगभग 21 लाख 40 हज़ार व्यक्ति एच.आई.वी. एड्स से पीड़ित हैं। इसी तरह आंकड़ों के अनुसार 31 अक्तूबर 2019 तक पंजाब में 78 हज़ार 589 व्यक्तियों को एच.आई.वी. व एड्स से पीड़ित होने की पुष्टि हो चुकी है। राज्य में सबसे अधिक एच.आई.वी. व एड्स से पीड़ित 16 हज़ार 848 व्यक्ति ज़िला अमृतसर में हैं। दूसरे नंबर पर 9311 लुधियाना में, तीसरे नंबर पर जालन्धर में 8081, चौथे नंबर पर पटियाला में 7953, पांचवें स्थान पर बठिंडा में 3442, गुरदासपुर में 3330, फिरोज़पुर में 3212, तरनतारन में 3183, फरीदकोट में 3045, होशियारपुर में 2854, मोगा में 2538, कपूरथला में 2273, पठानकोट में 2010, संगरूर में 1914, रूपनगर में 1592, नवांशहर में 1390, मोहाली में 1087, मानसा 1039, मुक्तसर में 1008, फतेहगढ़ साहिब में 863, बरनाला में 839 व ज़िला फाज़िल्का में 777 व्यक्ति एच.आई.वी. एड्स से पीड़ित हैं। इस संबंधी डाक्टरों का कहना है कि जानकारी की कमी होने के कारण काफी एच.आई.वी. से पीड़ित व्यक्ति अपना इलाज बीच में छोड़ देते हैं। अधिकतर मरीज़ अपनी बीमारी बारे किसी को पता चलने के डर के कारण निजी अस्पतालों में अपना इलाज करवाना शुरू कर देते हैं। चाहे सभी अस्पतालों में एच.आई.वी. व एड्स से पीड़ित व्यक्ति का नाम व पता बिल्कुल गुप्त रखा जाता है तथा उनकी कौंसलिंग भी की जाती है। इस संबंधी एड्स से पीड़ित व्यक्ति ने बिना अपनी पहचान व्यक्त कर बताया कि जब उनकी बीमारी का उसके घरवालों को व समाज को पता चलता है तो वह उनसे दूरी रखनी शुरू कर देते हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए एच.आई.वी. व एड्स से पीड़ित व्यक्ति अपनी बीमारी छिपाता है। दवाई बीच में छोड़ने बारे उन्होंने कहा कि मरीज़ अपनी शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक तौर पर टूट जाता है जिससे वह अपना इलाज बीच में ही बंद कर देता है। स्वास्थ्य मनोवैज्ञानी डा. नैना शर्मा इस संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि एच.आई.वी. व एड्स से व्यक्ति को मानसिक तौर पर मज़बूत रखने के लिए उसके परिवार की अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि मरीज़ के साथ-साथ उनके पारिवारिक सदस्यों की भी कौंसलिंग होनी चाहिए ताकि वह मरीज़ को ज़िंदगी जीने के लिए उत्साह बरकरार रखें। मरीज़ों के लिए ऐसे सहायक ग्रुप में भाग लेने जहां वह अपनी शारीरिक समर्था अनुसार काम कर सकें जैसे कि सिलाई-कढ़ाई का काम व पैकिंग आदि के काम। इस तरह के सहायक ग्रुप मरीज़ को ज़िंदगी प्रति रुचि को बनाए रखने में सहायता करवाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति अपनी दवाई भी जारी रखता है। उन्होंने बताया कि यदि एच.आई.वी. व एड्स का मरीज़ डाक्टरों की सलाह अनुसार अपना ख्याल रखता है तो वह अपनी ज़िंदगी लम्बे समय तक जी सकता है।