कुर्सी बचाने और पाने के लिए नेताओं की दिल्ली-दौड़

हिमाचल के सर्द मौसम के बीच सियासत में अचानक गर्मी आ गई है। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के नेताओं के बीच कुर्सी बचाने और कुर्सी पाने को लेकर शह और मात का खेल चल रहा है। दोनों दलों के दिग्गज नेता कुर्सी के लिए दिल्ली हाईकमान के चक्कर लगा रहे हैं। अगर बात सत्ता पक्ष भाजपा की करें, तो मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की चर्चाएं गर्म हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा है कि वह जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार करेंगे।  इसके साथ ही मंत्रीमंडल में फेरबदल के भी संकेत दिए हैं जिससे कैबिनेट में खाली पड़े दो मंत्री पदों को पाने के लिए भाजपा के सीनियर विधायकों की दावेदारी चल रही है। दावेदारों में प्रमुख रूप से कांगड़ा ज़िले से नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया, तो ओबीसी वर्ग के विधायक रमेश ध्वाला इस हेतु दावेदारी कर रहे हैं। दावेदारों में विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल का नाम भी है। राजीव बिंदल गत 15 दिनों में दो बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं। वहीं सरकार में मंत्री सुरेश भारद्वाज, विपिन परमार, रामलाल मार्कंडेय सहित तीन-चार मंत्री भी दिल्ली में डेरा जमाकर पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करते रहे हैं। सियासत में यही माना जा रहा है कि भाजपा के सीनियर नेता और मंत्री सत्ता में कुर्सी पाने और कुर्सी बचाने के लिए दिल्ली दरबार में हाजिरी भर रहे हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पिछले दिनों दिल्ली में हाईकमान के समक्ष मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया और कैबिनेट में शामिल होने वाले मंत्रियों के बारे में चर्चा भी की है। अब देखना है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कब मंत्रिमंडल में विस्तार व फेरबदल करते हैं और किस मंत्री की कुर्सी बचती है और कौन विधायक मंत्री पद पर काबिज होता है।  वहीं कांग्रेस पार्टी में भी कुर्सी की जंग छिड़ी है। कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेशाध्यक्ष को छोड़ प्रदेश के सभी संगठनों की कार्यकारिणी को भंग कर दिया है। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि प्रदेशाध्यक्ष पद पर भी नए नेता की तैनाती होनी चाहिए, जिससे प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिए नेताओं ने दिल्ली में हाईकमान के दरबार में हाजिरी भरना शुरू कर दी है। प्रदेशाध्यक्ष पद को पाने के लिए रामलाल ठाकुर, कौल सिंह ठाकुर, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और पूर्व मंत्री आशा कुमारी का नाम चल रहा है। नयनादेवी के विधायक रामलाल ठाकुर ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की है। वहीं वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ने भी सीनियर नेता आनंद शर्मा से दिगी में मुलाकात की है। इसके साथ ही राठौर ने सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है। 
बड़े साहब को रिटायरमेंट के बाद रोजगार देने की तैयारी
प्रदेश की हर सरकार रिटायरियों को रोजगार देने के मुद्दे पर हमेशा विवादों में रही है। भाजपा जब विपक्ष में थी, तो कांग्रेस सरकार पर यही आरोप लगाती थी कि यह रिटायरों की सरकार है। इसका कारण था कि पूर्व कांग्रेस शासनकाल में कई रिटायरियों को फि र से रोजगार देकर प्रमुख पदों पर तैनात किया गया था। वर्तमान सरकार भी रिटायरियों को रोजगार देने के मुद्दे को लेकर विवादित हो रही है। अब सरकार के एक बड़े साहब कुछ समय बाद रिटायर होने वाले हैं, जिससे सरकार उनको प्रमुख पद पर तैनाती देने की तैयारी में है। चर्चा है कि बड़े साहब के लिए ऑफि स भी बन रहा है जिसमें मोटी सैलरी के साथ गाड़ी और आवास की सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी। रिटायरमेंट के बाद रोजगार देने के मुद्दे को लेकर सरकार कांग्रेस के निशाने पर अवश्य आएगी। अब देखना है कि रिटायरमेंट के बाद रोजगार देने का विरोध करने वाली भाजपा के नेता कैसे अपनी सरकार के निर्णय पर सफाई देते हैं।
पत्र बम : सरकार पर फि र उठाए सवाल
सरकार के खिलाफ  पत्र बम को लेकर भाजपा में सियासी घमासान छिड़ा है, जिसे लेकर सरकार और भाजपा के कुछ नेताओं के बीच मानो शीत युद्ध छिड़ा है। पूर्व में आए पत्र बम में सरकार में भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठाए गए थे। पत्र के सोशल मीडिया में वायरल होने के कारण मामला पुलिस थाने तक पहुंचा। पुलिस की रिपोर्ट में आया कि पत्र को वायरल करने के पीछे भाजपा के ही एक बड़े नेता का हाथ है। इस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार के दवाब में पुलिस कार्य कर रही है और उन्हें गलत तरीके से फं साया जा रहा है। वहीं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि पुलिस निष्पक्ष जांच कर रही है। परदे के पीछे सरकार को बदनाम करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। एक और पत्र सामने आया है, जिसमें पूर्व में पत्र लिखने वाले ने सवाल उठाया कि उन्होंने पत्र को इसलिए जारी नहीं किया था कि वायरल करने वालों पर कार्रवाई हो। उन्होंने पत्र इसलिए लिखा था कि आरोपों की जांच हो। इसी बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा है कि पत्र वायरल करने वालों के साथ-साथ पत्र लिखने वालों तक भी पुलिस पहुंचेगी, लेकिन भाजपा सरकार के खिलाफ  लगातार जारी हो रहे पत्र को लेकर सरकार में खलबली अवश्य मची है। सरकार को चाहिए भी कि पत्र में जो आरोप लगे हैं, उनकी भी जांच कराए, जिससे सच्चाई सामने आ सके।