महाराष्ट्र का राजनीतिक ड्रामा

महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव सम्पन्न हुए एक महीना से ज्यादा हो गया, परन्तु सरकार नहीं बनी थी। अब जाकर एन.सी.पी.,  शिवसेना और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बना ली है। शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन गये हैं। यह अलग बात है कि तीनों पार्टियों के विचार नहीं मिलते हैं, परन्तु शायद समय के साथ विचार मिल भी जायें। भाजपा के घमंड को तोड़ने के लिए समय-समय पर पार्टियां समझौता भी कर सकती हैं। देवेन्द्र फड़नवीस , अमित शाह, जे.पी. नड्डा आदि कहते थे ‘मोदी है तो मुमकिन है’, तो प्रधानमंत्री मोदी कुछ कह नहीं रहे हैं? क्या मोदी का जादू खत्म हो गया है? वैसे महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा को 100 से ज्यादा सीटें मिली परन्तु उसका कोई सहयोगी नहीं था। अंतत: फड़नवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई। परन्तु तीन दिन बाद ही देवेन्द्र फड़नवीस और अजीत पवार को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। भाजपा के प्रवक्ता कह रहे हैं कि तीन पार्टियों की सरकार ज्यादा देर तक चलेगी नहीं। महाराष्ट्र भारत का एक बड़ा राज्य है। महाराष्ट्र में अढ़ाई-अढ़ाई वर्ष के फार्मूले पर भाजपा अगर मान जाती तो इसमें हर्ज क्या था? शिवसेना तब भाजपा से गठबंधन नहीं तोड़ती और महाराष्ट्र में आज भाजपा-शिवसेना मिलकर सरकार बना लेती।

—डा. एम.एल. सिन्हा