शर्मनाक घटनाक्रम

लगभग 7 वर्ष पूर्व दिल्ली में एक चलती बस में मैडीकल की छात्रा से 6 व्यक्तियों ने उसके साथी के सामने दुष्कर्म किया था और बाद में दोनों को चलती बस से धक्का दे दिया था। कुछ दिनों के बाद लड़की की मौत हो गई थी, परन्तु इस दर्दनाक घटना ने समूचे देश में एक तरह से तूफान खड़ा कर दिया था। इसके बाद सरकार को दुष्कर्म के विरुद्ध अपराधों संबंधी कानूनों को और भी कड़ा करना पड़ा था, परन्तु इसके बावजूद ऐसी भयानक और शर्मनाक घटनाओं में कमी नहीं आई, अपितु आंकड़ों के अनुसार देश भर में ये घटनाएं बढ़ी हैं। जम्मू के कठुआ में कुछ वर्ष पूर्व ऐसी ही घटना में एक नाबालिग लड़की को अपहरण करने के कुछ दिनों बाद मार दिया गया था। इस घटना की बड़े स्तर पर देश भर में चर्चा हुई थी। अब हैदराबाद में एक वैटर्नरी डाक्टर लड़की का एक पेट्रोल पम्प से अपहरण करने के बाद कुछ व्यक्तियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में उसको ट्रक में बिठाकर दूर ले जाया गया जहां उसको मारने के बाद जला दिया गया। इस घटना के विरोध में बड़े स्तर पर देश भर में रोष-प्रदर्शन हो रहे हैं। इसमें शामिल चार व्यक्तियों को पकड़ भी लिया गया है। इसकी चर्चा संसद में भी हुई है, जहां सभी सदस्यों ने इस दु:खद घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ाएं देने की मांग की है। तेलंगाना सरकार ने लापरवाही करने वाले कुछ पुलिस कर्मचारियों को बर्खास्त भी कर दिया है। हर तरफ से पड़े बड़े दबाव के कारण यह केस तत्काल कार्यवाही करने के लिए भी अदालत को दे दिया गया है। आज देश में ऐसी दर्जनों ही घटनाओं के स्थान-स्थान पर होने के समाचार आ रहे हैं। इस घटना के बाद दिल्ली में एक 55 वर्षीय महिला के साथ दुष्कर्म करके बाद में उसका गला घोंट कर मार दिया गया। राजस्थान में एक 6 वर्षीय बच्ची के साथ ऐसा भयानक कृत्य करके उसको मार दिया गया। चाहे ऐसी वारदातों संबंधी जन-मानस में बेहद गुस्सा पैदा होता है।  समाज द्वारा भी दोषियों को धिक्कार से देखा जाता है परन्तु कुछ ऐसे लोग हैं, जो ऐसे हैवानियत भरे कृत्य करने से नहीं हिचकिचाते। गत दिनों किए गए कुछ बड़े शहरों के सर्वेक्षण से भी महिलाओं के प्रति पैदा हुई ऐसी मानसिकता का पता चलता है, जो लगातार एक वर्ग में अब तक पनपती आ रही है। एक सामाजिक संस्था (सेफ्टी पिन) ने मध्यप्रदेश के भोपाल, ग्वालियर और राजस्थान के जयपुर में विस्तृत सर्वेक्षण किया, जिससे बहुत ही दिल दहलाने वाले परिणाम सामने आए हैं। इसके अनुसार 90 प्रतिशत के लगभग महिलाएं सुनसान स्थानों पर स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। छात्राओं को शारीरिक हिंसा का अधिक खतरा रहता है। इनके अनुसार 63 प्रतिशत महिलाएं सरकारी बसों के लगभग खाली होने पर डर जाती हैं। 86 प्रतिशत महिलाएं शराब के ठेकों और नशीले पदार्थों की बिक्री वाले स्थानों से असुरक्षित महसूस करती हैं। अधिकतर महिलाओं के अनुसार बसों, ऑटो और यातायात के अन्य साधनों में सफर करने और इनका इंतज़ार करने के दौरान उनको अक्सर अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ता है। 57 प्रतिशत छात्राओं और 50 प्रतिशत अविवाहित महिलाओं को यौन हिंसा और छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा महिलाओं को पुरुषों द्वारा घूरना और उनका पीछा करना, उनके साथ छेड़छाड़ करना और उनको स्पर्श करने की घटनाओं में लगातार वृद्धि होती जा रही है। अब एक बार फिर यह मामला हैदराबाद की घटना से जिस तरह उभरा है, उससे जन-भावना की यह बात अवश्य सामने आ रही है कि ऐसे मामलों का फास्ट ट्रैक अदालतों द्वारा एक निश्चित समय में फैसला होना चाहिए और दोषियों को बड़ी सज़ाओं के भागीदार बनाया जाना चाहिए, ताकि ऐसी आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों में डर पैदा हो सके। इसके साथ-साथ पुलिस प्रबंधों को और चुस्त-दुरुस्त करने की ज़रूरत होगी। ऐसी स्थिति में ही बड़ी संख्या में घिरी महिलाओं को बचाया जा सकेगा। नि:संदेह महिलाओं के प्रति आज भी ऐसा घटनाक्रम हमारे समाज के लिए बेहद शर्मनाक है, जिसके लिए ऐसे अपराधी कदापि क्षमा-योग्य नहीं हो सकते।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द